
कॉमन सिविल कोड को लेकर भले अभी देर हो रही हो, लेकिन 'तीन तलाक' जैसे संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार गंभीर है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में महिला संगठनों की दाखिल पीआईएल की आड़ में बहु पत्नी प्रथा और 'तीन तलाक' पर कानूनी पाबंदी लगाने की तैयारी शुरू कर दी है.
पिछली बार शाहबानों कांड के समय राजीव गांधी सरकार मौका चूक गई थी. सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में सरकार ड्राफ्ट तैयार कर रही है. इसको लेकर सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, मनोहर पर्रिकर और मेनका गांधी के बीच चर्चा भी हुई है. कानून मंत्रालय इस पर ड्राफ्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट को भेजने की तैयारी में है. केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पांच अक्टूबर से पहले जवाब दाखिल करना है. पांच सितंबर की सुनवाई के दौरान केंद्र को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा गया था.
दूसरे देशों का उदाहरण देगी केंद्र सरकार
महिलाओं के बराबरी के हक को लेकर सरकार आगे बढ़ेगी. अब उसके साथ खुद मुस्लिम महिलाओं के संगठन भी हैं. कानून मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट के जवाब में वैश्विक स्तर पर आ रहे बदलावों की जानकारी और आंकड़ों को पेश किया जाएगा. इस्लामिक देश जैसे सऊदी अरब, मलेशिया, इराक और पाकिस्तान में भी इस तरह के नियम व्यवहार में नहीं हैं. इन देशों में महिलाओं को कानूनी तौर पर बराबरी का दर्जा दिया गया है.
हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब भी दलील दे रहा है कि मुस्लिम विवाह, तलाक और गुजारा भत्ते को कानून का विषय नहीं बनाया जा सकता. इसमें ना तो कोई कोर्ट दखल दे सकता है और ना ही सरकार.