Advertisement

CG में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में खपा दी गई करोड़ों की ब्लैक मनी

नोटबंदी के दौरान अभी तक जनधन के खातों में ही ब्लैक मनी के खपाये जाने की खबरें आती रही हैं. वो भी किसानों के खातों में, खासतौर पर ग्रामीण बैंकों के जरिए. नोतबंदी के दौरान RBI ने ग्रामीण बैंको में पुराने नोटों की जमा निकासी पर रोक भी लगाई थी.

पुलिस गिरफ्त में बैंक मैनेजर और कैशियर पुलिस गिरफ्त में बैंक मैनेजर और कैशियर
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 30 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:26 AM IST

नोटबंदी के दौरान अभी तक जनधन के खातों में ही ब्लैक मनी के खपाये जाने की खबरें आती रही हैं. वो भी किसानों के खातों में, खासतौर पर ग्रामीण बैंकों के जरिए. नोतबंदी के दौरान RBI ने ग्रामीण बैंको में पुराने नोटों की जमा निकासी पर रोक भी लगाई थी. हालांकि कुछ हफ्तों में यह रोक हटा ली गई थी. इसके बाद ग्रामीण बैंक, काली कमाई को ठिकाने लगाने के कारखाने बन गए. ऐसा ही कुछ हुआ है छत्तीसगढ़ में. यहां जनधन के खातों में अरबों रूपये जमा होने की जांच अभी चल ही रही थी कि एक और नया खुलासा हुआ है. यहां के ग्रामीण बैंको में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी जमा भी हुई और समय रहते निकाल भी ली गई. वो भी किसानों के खातों से. फिलहाल इस मामले की भी जांच शुरू हुई है और पहली ही पड़ताल में बेमेतरा जिले के ग्रामीण बैंक के मैनेजर और एक कैशियर पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं.

Advertisement

बेमेतरा पुलिस थाने में पुलिस कर्मियों के सामने घुटने टेके ये कोई पेशेवर अपराधी नहीं हैं. बल्कि इलाके के ग्रामीण बैंक के मैनेजर और उनका हमराज कैशियर है. हालांकि ये पेशेवर अपराधी नहीं हैं, लेकिन जो अपराध इन्होंने किया है वो बड़ी ही चालाकी और पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया है. नोटबंदी के दौरान मैनेजर साहब और उनके स्टाफ ने किसानों को भरोसा दिलाया की वो, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के खाते खोलें. उनके खातों में बतौर लोन 50 हजार तक की रकम बगैर किसी दस्तावेजों के जमा किए आ जाएगी. किसानों ने बैंक मैनेजर पर भरोसा कर अपने खाते खुलवा लिए. आरोपी मैनेजर ने हाथों-हाथ किसानों से रकम जमा करने वाली पर्ची और निकासी की पर्ची दोनों में हस्ताक्षर भी करवा लिए. इसके बाद महीने भर तक किसानों ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अपने खातों की सुध तक नहीं ली.

Advertisement

इस उम्मीद में की एक ना एक दिन उनका लोन स्वीकृत हो जाएगा. लेकिन हफ्ते भर पहले जब ये किसान लोन की रकम की जानकारी लेने बैंक पहुचे तब पता पड़ा कि उनके खातों में लाखों की रकम जमा भी हुई और निकल भी गई. फिलहाल अपनी पासबुक अपडेट कराने के बाद ये किसान हाथ मल रहे हैं. इनकी हालत ना माया मिली ना राम जैसी है. हालांकि पुलिस ने शिकायत दर्ज होने के बाद ग्रामीण बैंको में खोले गए खातों की पड़ताल शुरू कर दी है.

दुर्ग रेंज के आई.जी. दीपांशु काबरा के मुताबिक बड़ी चालाकी से इस घोटाले को अंजाम दिया गया है. शुरुआती पड़ताल में करीब 19 लाख रुपए का पता चला है. बैंक को हम और ठीक से जांच करेंगे तो इससे बड़ा घोटाला हमें मिलेगा. उनके मुताबिक ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि खातेदारों के अकाउंट में पुराना नोट जमा किया और विड्रॉल किए गए. ये नोट किसके हैं हम पूछताछ कर रहे हैं.

पुलिस को अंदेशा है कि एक बड़े घोटाले को ग्रामीण बैंकों ने अंजाम दिया है. शुरुआती पड़ताल में ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के दर्जनों ऐसे खाते सामने आ गए हैं जिसमें लाखों की रकम जमा भी हुई और निकाल भी ली गई. पुलिस की मानें तो अकेले बेमेतरा में पांच हजार से ज्यादा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के खाते खोले गए वो भी नोटबंदी के दौरान. जबकि आरोपी मैनेजर और कैशियर ने पुलिस को बताया कि सिर्फ वे ही गुनाहगार नहीं है बल्कि राज्य के ज्यादातर इलाकों में ऐसे ही ब्लैक मनी खपाई गई है. पूछतांछ के दौरान बैंक मैनेजर ने इस बारे में मुंह नहीं खोला है कि आखिर यह रकम किसकी है, कैसे उन तक पहुंची और निकासी के बाद आखिर किन हाथों को सौप दी गई. फिलहाल किसान इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

Advertisement

नोटबंदी के दौरान इस राज्य में इस बात का खुलासा हुआ था कि यहां के ग्रामीण बैंको में नेताओं के अरबों रुपए किसानों के खातों में जमा करा दिए गए. खासतौर पर कर्जदार किसानों के RBI और इनकम टैक्स विभाग ग्रामीण बैंको के लेनदेन की अभी पड़ताल कर ही रहा था कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना भी जांच के दायरे में आ गई.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement