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'दालों-सब्जियों की कीमतें बढ़ना कोई बहस का मु्द्दा नहीं'

वाणिज्य मंत्री ने कहा, 'हर साल बढ़ते हैं सब्जियों के दाम'मंत्री का कहना है की मौसमी सब्ज़ियों के दाम बढ़ना हर साल होने वाली समस्या है. इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को घेरना सही नहीं.'

वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण
अंजलि कर्मकार/रीमा पाराशर
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  • 21 जून 2016,
  • अपडेटेड 4:13 AM IST

'आम आदमी की थाली से दाल गायब हो रही है'. महंगाई का ये मुद्दा यूपीए की सरकार को घेरने के लिए बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार था, लेकिन सत्ता में आते ही पार्टी के सुर भी बदल गए हैं और नज़रिया भी. अब केंद्र की सत्ता पर काबिज सरकार के मंत्रियों के लिए महंगाई है ही नहीं. भले ही दालों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए मंत्रियों की बैठकें हो रही है, लेकिन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण का मानना है कि महंगाई कोई नई बात नहीं, बल्कि ये पहले से ही एक समस्या है.

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'हर साल बढ़ते हैं सब्जियों के दाम' मंत्री का कहना है की मौसमी सब्ज़ियों के दाम बढ़ना हर साल होने वाली समस्या है. इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को घेरना सही नहीं.' सरकार के बचाव में निर्मला यहां तक कह गईं कि पिछली सरकार के समय प्याज की आसमान छूती कीमतों से लोग परेशान थे, लेकिन आज प्याज के दाम काबू में हैं और खाद्य महंगाई की दर भी निचले स्तर पर है.

कनाडा से आयात करेंगे दाल
वाणिज्य मंत्री ने कहा की दाल की कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए जल्द ही म्यांमार के साथ समझौता होने वाला है, जिससे दाल का आयात किया जा सकेगा. देश में दाल का उत्पादन 17 लाख टन है, जबकि खपत 23 लाख टन की है. इस अंतर की भरपाई के लिए कनाडा समेत कुछ और देशों से भी दाल के आयात पर बातचीत अंतिम दौर में है.

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अब सरकार भले ही महंगाई पर काबू पाने के बड़े बड़े दावे कर रही हो, लेकिन शायद ये भूल गई है की इसी मुद्दे पर विपक्ष में रहते हुए वो कांग्रेस और यूपीए के खिलाफ अभियान चलाकर सत्ता के नज़दीक पहुंची थी और अब सरकार में आते ही जनता की जेब पर पड़ी महंगाई की मार उसके लिए मुद्दा नहीं है.

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