
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी. इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और विधि आयोग को भी नोटिस जारी किया था.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य ने समान नागरिक संहिता को लेकर जनहित याचिका (PIL) दायर की है. उपाध्याय ने अपनी याचिका में सरकार से सभी धर्मो और संप्रदायों के रीति-रिवाजों, विकसित देशों के सिविल कानूनों और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत तीन महीने के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए एक न्यायिक आयोग या उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की अपील की है.
उन्होंने व्यापक सार्वजनिक बहस और प्रतिक्रियाएं लेने के लिए वह मसौदा सरकारी वेबसाइट पर कम से कम 60 दिनों तक प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की है. पीआईएल में उपाध्याय ने कहा है, 'अनुच्छेद 44 का उद्देश्य समान नागरिक संहिता लागू कराना है, जो भाईचारा, एकता और राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है.'
सर्वोच्च न्यायालय ने की थी टिप्पणी
समान नागरिक संहिता को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने भी शुक्रवार को टिप्पणी करते हुए कहा था कि संविधान का निर्माण करने वालों को उम्मीद थी कि भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित कराने की कोशिश होगी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने गोवा में शादी का पंजीकरण कराने वाले मुस्लिमों के भी बहुविवाह पर रोक का जिक्र करते हुए प्रदेश को चमकता उदाहरण बताया था.