
देश और खासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आम लोगों से धोखाधड़ी करने वाले रियल एस्टेट बिल्डरों और ऐसे बिल्डरों की परियोजनाओं को प्रमोट करने वाली सेलिब्रेटीज के लिए कड़े कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है. बजट सत्र के दूसरे हिस्से की शुरुआत के दिन सोमवार को लोकसभा में यह मांग उठी.
बिल्डरों और सेलिब्रेटिज पर भी कार्रवाई की मांग
एनडीए की सहयोगी पार्टी ‘अपना दल’ की अनुप्रिया पटेल ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कुछ बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों का नाम भी लिया. उन्होंने कहा कि ये लोग बड़े सिने सितारों के नामों का इस्तेमाल करके मध्यम वर्ग को झूठे वादों में फंसाते हैं. उन्होंने कहा कि ये कंपनियां लोगों को आवास मुहैया कराने के वादों को समय से पूरा नहीं करती हैं और परियोजनाओं को सालों तक लटकाए रखती हैं.
शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पेश
इसके पहले सदन में शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई. इसके मुताबिक सभी अधूरे एफोर्डोबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को रियल एस्टेट कानून 2016 के दायरे में लाए जाने पर बात हुई. सदन में कहा गया है कि चाहे प्रोजेक्ट्स जब भी शुरू हुआ हो फ्लैट की अधिकतम कीमत तय होनी चाहिए. इसके अलावा बिल्डरों को टैक्स में रियायत का कुछ फायदा ग्राहकों को भी मिलना चाहिए.