
झारखंड में भूख से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है. सिमडेगा और धनबाद के बाद इस बार देवघर के मोहनपुर इलाके के भगवानपुर गांव में एक शख्स की मौत की खबर है. हालांकि झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि देवघर में हुई मौत का भूख से कोई लेना-देना नहीं है. सरयू राय के मुताबिक विभाग की चार सदस्यों की टीम ने देवघर में जाकर पड़ताल की, जिसमें यह पाया गया कि ये एक स्वाभाविक मौत है. हालांकि उन्होंने कई लोगों के राशन कार्ड नहीं होने पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह सतत प्रक्रिया है और मैंने इस मामले में विभाग से जानकारी मांगी है.
सरयू राय ने कहा, 'हमने लोगों से कहा है कि वह विभाग से शिकायत करें. जिन्हें राशन नहीं मिलता है, उन्हें पूरा मुआवजा मार्केट रेट के मुताबिक देंगे. इस मामले में मंत्रालय बिल्कुल ओपन है, अगर कोई मौत होती है तो उसको सीधे भूख से जोड़ देना ठीक नहीं है.'
सरयू राय के मुताबिक सिमडेगा की बात अगर ना करें तो झरिया और देवघर में अनाज की कमी से मौत नहीं हुई है. उनके मुताबिक ऐसा नहीं है कि करीब 11 लाख लोगों के राशन कार्ड रद्द कर दिए गए, बल्कि साढ़े नौ लाख कार्ड नए बनवाए गए. झारखंड में भोजन के अधिकार कानून सही तरीके से काम कर रहा है.
उन्होंने माना कि राज्य में कुपोषण है, इस वजह से कई सारी योजनाओं को अब एक ही छत के नीचे लाना चाहिए. मंत्रालय का मकसद भी यही है. सरयू राय ने कहा कि उन्होंने पीडीएस के दुकानदारों को एक एक्स्ट्रा पहचान पत्र रजिस्टर्ड रखने करने को कहा है. भारत सरकार की एक गाइडलाइन है कि कोई भी पहचान पत्र से अनाज ले सकते हैं. मंत्रालय जल्दी ऑनलाइन राशन कार्ड बनाएगा.
उन्होंने माना कि विभाग के पास मैन पवार की कमी है हमारे यहां 400 पद रिक्त हैं. सरयू राय के मुताबिक ऐसी मौत तो होती रहेगी इसको कोई रोक नहीं सकता लेकिन यह जांच का विषय है कि कौन भूख से मर रहे हैं ? दरअसल भूख से मौत की बात 2 दिन के बाद आती है. इस वजह से यह दुविधा की स्थिति है कि भूख से मरे हैं या किसी और वजह से. सरयू ने कहा कि सिमडेगा में 11 साल की संतोषी की मौत का मामला भूख से मौत की घटना का विषय हो सकता है, झरिया में 40 साल के रिक्शा चालक बैजनाथ के पास राशन कार्ड नहीं था लेकिन देवघर में रूपलाल के परिवार वालों ने बीते महीने राशन बनवाया था.