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रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 83 लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क वन ए खरीदने की मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सोमवार रक्षा खरीद परिषद की बैठक में ये फैसला हुआ. देश का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुका है. वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा ने जब इसी साल 17 मई को इस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी और उसके बाद एक जुलाई 2016 को तेजस वायुसेना में शामिल हो गया.
तेजस को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल ने बनाया है. बंगलुरु में एचएएल के प्लांट में दिन रात तेजस बनाने का काम चलता रहता है. फिलहाल वायुसेना में 2 तेजस विमान शामिल हो चुके हैं. बंगलुरु में रहने के बाद ये स्क्वाड्रन तमिलनाडु के सूलूर चला जाएगा. वायुसेना की योजना अगले साल मार्च तक इसके बेड़े में छह तेजस शामिल करने की है. इसके बाद आठ और तेजस बेड़े में शामिल किए जाएंगे. यानि 2018 तक 18 विमान यानि पहला स्क्वाड्रन पूरा हो जाएगा. इसके बाद ही तेजस को किसी फॉरवर्ड एरिया में तैनात किया जाएगा. तेजस वायुसेना में मिग-21 की जगह लेगा. सेना ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 120 तेजस का ऑर्डर दिया है. यकीनन देर से सही, लेकिन इसके वायुसेना में शामिल होने से वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और देसी होने की वजह से इसकी किसी भी चीज के लिए कभी दूसरों का मोहताज नहीं होना होगा. तेजस की लंबाई 13.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है. तेजस का वजन 6,560 किलोग्राम है. इसके विंग्स 8.2 मीटर चौड़े हैं.
ये हैं खुबियां
टी सुवर्णराजू ने बताया कि अगर खूबियों की बात करें तो ये 50 हजार फीट तक उड़ सकता है. दुश्मन पर हमला करने के लिए इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाने लगाने के लिये आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं. अगर ताकत की बात करें तो पुराने मिग 21 से कही ज्यादा आगे है और मिराज 2000 से इसकी तुलना कर सकते हैं. ये ही नहीं चीन और पाकिस्तान के साक्षा उपक्रम से बने जेएफ-17 से कहीं ज्यादा बेहतर है. तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है. तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. 1350 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि जेएफ-17 2,037 किलोमीटर की दूरी. तेजस जहां 3000 किलो विस्फोटक और बम लेकर उड़ सकता है, वहीं जेएफ-17 2,300 किलो लेकर ही जा सकता है. तेजस हवा में ही तेल भरवा सकता है पर जेएफ-17 ऐसा नहीं कर सकता. सबसे अहम बात यह है कि तेजस 460 मीटर चलने के बाद ही हवा में उड़ सकता है, जबकि चीनी विमान को ऐसा करने के लिए 600 मीटर की दूरी तय करनी होती है.
दुश्मन के छक्के छुड़ाएगा
तेजस में लगे लेजर गाइडेड बम दुश्मन के ठिकाने पर सटीक निशाना लगा सकते हैं. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन से लेकर देश की किसी भी सरहद पर तेजस अपनी तेजी से दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है. इसके अलावा आसमान में तेजस हर तरह की कलाबाजी दिखा रहा है. तेजस को सीसीएम यानि क्लोज कॉम्बेट मिसाइल और बीबीएम बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल भी लैस किया गया है. विमान का ढांचा भी भारत में बने कार्बन फाइबर से बना है जो कि धातु की तुलना में कहीं ज्यादा हल्का और मजबूत होता है. हमनें तेजस पर 600 से ज्यादा बार उड़ान भरने वाले पाइलट ग्रुप कैप्टन आर आर त्यागी ने बताया कि विमान में लगे सामान्य सिस्टम जिसमें ईंधन प्रबंधन से लेकर स्टीयरिंग तक सब भारत में ही निर्मित हैं. एक महत्वपूर्ण सेंसर तरंग रडार, जो कि दुश्मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है, भारत में ही बना है.
दुनिया में सिंगल इंजन वाला असाधारण विमान
तेजस पर सवार होने से पहले एक खास जी शूट पहना जाता है. जी शूट उड़ान के दौरान पायलट और को पायलट के खून के दबाव को सामान्य बनाये रखने में मदद करता है. जी शूट के साथ एक खास हेलमेट भी पहनना होता है. इस हेलमेट के साथ ही ऑक्सीजन मास्क भी जुड़ा होता है जो उड़ान के दौरान कलाबाजी के वक्त जी शूट के साथ शरीर में खून और ऑक्सीजन का संचार बनाए रखता है. ट्रेनर विमान में सवार होने के बाद उसे रनवे तक टोह करके रनवे पर लाया जाता है और फिर कुछ ही मिनटों में तेजस की तेजी सामने होती है. चीन, पाकिस्तान और बाकि दुनिया के इस क्लास के विमानों के मुकाबले में तेजस दुनिया में सिंगल इंजन वाला असाधारण विमान है.
तेजस को वायुसेना में 45वीं स्क्वाड्रन 'फ्लाइंग डैगर्स' के रूप में शामिल किया गया है. विमान का परीक्षण करने वाले सभी पायलट तेजस के फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से संतुष्ट है. चाहे कलाबाजी में इसकी कुशलता हो या फिर इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम की रिस्पॉन्सिवनेस. तेजस की परीक्षण उड़ानों के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना में किसी भी पायलट को कभी कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा है. अब तक इसकी 3000 से ज्यादा उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं.
तेजस में लगा फ्लाइ-बाइ-वायर सिस्टम जो विमान को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर नियंत्रित इनपुट देता है, वह पूरी तरह भारतीय है. विमान में लगा मिशन कंप्यूटर, जो सेंसर से मिलने वाले डेटा को प्रोसेस करता है, वह भी पूरी तरह भारतीय है. मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इसका मतलब है कि इसे भविष्य में अपग्रेड किया जा सकता है. यानी आने वाले वक्त में तेजस को मार्क वन और मार्क टू के नाम से आधुनिक बनाया जाएगा.