
जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक घमासान मचा हुआ है. बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के भाषण की एक क्लिपिंग वायरल हो रही है, जिसमें उसे राष्ट्र विरोधी नारेबाजी देते हुए दिखाया जा रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि यह वीडियो न सिर्फ फैब्रिकेटेड है. जी हां, इसमें 9 फरवरी के देशविरोधी नारों का ऑडियो, कन्हैया के 11 फरवरी के भाषण पर इंपोज किया गया है.
हालांकि, मामला कोर्ट में है, लिहाजा सच क्या है और गलत क्या, इसका फैसला अदालत करेगी . लेकिन जिस ताजा वीडियो को कन्हैया के 'देशद्रोही' होने का सबूत माना जा रहा है और जिसको लेकर सोशल मीडिया में नफरत की आग को सुलगाने की कोशिश की जा रही है, असल में गौर से देखने पर वीडियो की कलई खुलकर सामने आ जाती है.
मेल नहीं खाते ऑडियो और वीडियो
दरअसल, इस वीडियो की जांच करने पर पता चलता है कि ऑडियो और विजुअल दोनों मेल नहीं खाते. बताया यह भी जा रहा है कि वीडियो 11 फरवरी का है, जबकि उसमें इस्तेमाल किया गया ऑडियो 9 फरवरी का. यानी वीडियो वह है, जिसमें कन्हैया संघ और बीजेपी के खिलाफ अपनी बात रख रहा है और संघ से आजादी की बात कर रहा है. जबकि ऑडियो वह जिसमें देश विरोधी नारेबाजी की जा रही है.
यानी तकनीक का सहारा लेकर तस्वीर वही रखी गई है, जबकि आवाज बदल जाती है. हालांकि, सोशल मीडिया पर सबूत दिखाया जा रहा है कि 9 फरवरी को देशविरोधी नारे में कन्हैया भी था.