
विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के बाद से जहां 500, हजार रुपये के पुराने और 2000 रुपये के नए नोटों की खेप देशभर से बरामद हो रही है वहीं कई मामले में सोना भी भारी मात्रा में बरामद किया गया है साथ ही अचानक ही सोने की तस्करी में भी इजाफा देखा जा रहा है.
सोने की तस्करी कोई नई बात नहीं है लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से इसकी तस्करी की कोशिशें हो रही हैं वो मशहूर अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान की याद दिलाने लगा है. जिसे सोने की तस्करी के नायाब तरीके इजाद करने के लिए भी जाना जाता था. कपड़े के भीतर, मोबाइल फोन में और यहां तक की मलाशय में छुपा कर सोने की तस्करी करने की कोशिशें तो पहले से ही चल रही हैं लेकिन अब लोगों ने और भी कई तरीके इजाद किए हैं. आज हम उन तरीकों की बात कर रहे हैं जिनके इस्तेमाल के बावजूद भारत में सोने की तस्करी को अंजाम देने में कामयाब नहीं हो सके ये लोग.
डिस्को लाइट के स्टैंड से सोना बरामद
केरल के कोझिकोड से जारी पासपोर्ट पर दोहा से भारत पहुंचे एक भारतीय ने डिस्को लाइट की स्टैंड में 467 ग्राम सोना छुपा रखा था. यह डिस्को लाइट वो एक इवेंट के लिए ला रहा था. कस्टम अधिकारियों ने बताया कि सोने की तस्करी का यह तरीका एकदम नया है. इसी दिन काबुल से दिल्ली पहुंचे दो अलग अलग विमानों से पुराने 500 और 1000 के लगभग 35 लाख रुपये भी बरामद किए गए.
पपीते के भीतर ढाई किलो सोना
इसी साल अक्टूबर के महीने में थाईलैंड से भारत पहुंचा एक ऐसा यात्री हत्थे चढ़ा जिसके नायाब तरीके को देख कर कस्टम के अधिकारी भी दंग रह गये. इसने पपीते के भीतर 2.6 किलो सोना छुपा रखा था.
ट्रॉली के चक्के में सोने की छड़
अक्टूबर के ही महीने में दो अफगानियों को पकड़ा गया जो 1.4 किलो वजन वाली सोने की पांच छड़ को ट्रॉली बैग के सामने वाले चक्के के साथ बांध कर ला रहे थे. इसकी कीमत 44.5 लाख रुपये बताई गई. कस्टम अधिकारियों ने अक्टूबर के ही महीन में टोस्टर, टॉर्च, ड्रिलिंग मशीन और दाढ़ी काटने वाली रेजर में छिपा कर सोना ले जाने की कोशिशें नाकाम की.
बच्चे के डायपर में 16 किलो सोना
सोमवार यानी 12 दिसंबर को ही एक परिवार के छह लोगों को इसलिए रोका गया कि वो बच्चे की डायपर में 16 किलो सोना छुपाए थे. परिवार गुजरात का है और सोना इसके दो छोटे बच्चों के डायपर में रखा गया था.
जूते और स्पीकर में रखा सोना
जुलाई के महीने में कंधार से भारत पहुंचे दो यात्रियों ने अपने जूते में 52 लाख रुपये की कीमतों का 1.7 किलो सोना चिपका रखा था. तो वहीं रियाद से पहुंचे एक व्यक्ति के पास स्पीकर से करीब 23 लाख रुपये का सोना बरामद किया गया.
स्टैपलर का पिन सोने का
पहले भी इस पीली धातु की तस्करी के कई नायाब तरीके इस्तेमाल किए गए हैं. एक बार इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस व्यक्ति को पकड़ा गया जिसने स्टैपलर के पिन को ही सोने का बनवा लिया था और उससे फूड प्रोसेसर और एक डिब्बे को पंच कर भारत लाने की कोशिश कस्टम के अधिकारियों ने नाकाम कर दी थी.
गुप्त चेंबर से सोना बरामद
विमुद्रीकरण के बाद से देश के अगल अगल हिस्सों से पुराने नए नोटों के साथ ही सैकड़ों किलो सोने की बरामदगी की खबरें लगातार आ रही हैं. ऐसी ही एक खबर पिछले हफ्ते कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में एक हवाला कारोबारी के घर से करोड़ों रुपये के साथ ही 28 किलो सोने की बिस्किट और चार किलो सोने के गहने की बरामदगी की भी आई. इस हवाला डीलर ने जो तरीका अपनाया उसे देखकर आयकर विभाग को भी होश उड़ गए. उसने अपने बाथरूम में गुप्त चेंबर बना कर इतनी बड़ी रकम छुपा रखी थी.
इंपोर्ट ड्यूटी तस्करी की बड़ी वजह
सोने की तस्करी के पीछे सबसे बड़ी वजह इंपोर्ट ड्यूटी बताई जाती है. आज पहले की तुलना में सोने की तस्करी पर मुनाफा बढ़ गया है क्योंकि 2012 से पहले सोने पर जो इंपोर्ट ड्यूटी दो फीसदी था वो फिलहाल 10 फीसदी पर है. इसमें राज्यों की कर उगाही को जोड़ें तो यह 12 फीसदी पर पहुंच जाता है. यहां एक बात और भी जरूरी है. कई देश ऐसे हैं जहां भारत के मुकाबले सोने की कीमतें काफी कम हैं. दुबई इनमें से ही एक देश है जहां भारत के मुकाबले सोना 15 फीसदी तक सस्ता है.
सोना 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर
दूसरी ओर शादी का सीजन होने के बावजूद विमुद्रीकरण के बाद भारत में सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. दिल्ली में 5-6 नवंबर को 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 32,130 रुपये थी वो नवंबर के अंतिम दिनों में 29,290 प्रति 10 ग्राम पर आ गई. यानी विमुद्रीकरण के बाद से दिल्ली में सोने की कीमतों में 5.09 फीसदी की गिरावट आई और सोने की कीमत 10 महीने पुराने (फरवरी 2016 के) स्तर पर पहुंच गई.
सूत्रों के मुताबिक देश में हर महीने करीब 20 टन सोना तस्करी के जरिए आता है. भारत में सोना तस्करी के जरिए लाने पर जहां इंपोर्ट ड्यूटी से बचने का लाभ मिलेगा वहीं अभी लाया गया सोना विमुद्रीकरण के प्रभाव के कम होने और सोने की कीमतों के एक बार फिर कुलांचे भरने के साथ ही बड़ा मुनाफा भी देगा.
यही कारण है कि 9 नवंबर को विमुद्रीकरण के बाद से अकेले इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ही 500 और 1000 के पुराने नोटों, अमेरिकी डॉलर, यूरो और अफगानी करेंसी के अलावा 35 किलो सोना की तस्करी को भी नाकाम किया जा चुका है जिसकी कीमत 9 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी जा रही है. लेकिन यह महज ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत को चरितार्थ करता है क्योंकि जहां कुछ लोग कस्टम अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने में नाकाम रहते हैं वहीं लगातार नए नए तरीके ईजाद कर कहीं बड़ी मात्रा में सोने की तस्करी बदस्तूर जारी है.