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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: ममता के सांसद ने कहा- ये हमारा अधिकार है कि हम TV पर बहस करें या नहीं

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह उनका अधिकार है कि वे किसी टीवी बहस में जाएं या नहीं.

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन के एक प्रमुख सत्र 'डेमोक्रेटिक न्यूजरूम: आस्क ऑर एंकर्स' में न्यूजरूम के लोकतांत्रिक स्वरूप पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के संचालन में इंडिया टुडे ग्रुप के एंकर्स, संपादकों के साथ गर्मा-गर्म चर्चा हुई. इस दौरान उठे एक सवाल पर ब्रायन ने कहा कि यह उनका अधिकार है कि वे किसी टीवी बहस में जाएं या नहीं.

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असल में बहस इस बात पर हो रही थी कि मीडिया के न्यूजरूम कितने लोकतांत्रिक होते हैं. इस बीच इंडिया टुडे टीवी के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल ने यह सवाल उठाया कि कई राजनीतिक दलों के नेता टीवी बहसों में नहीं जाते. खासकर ऐसा तब होता है, जब उन्हें असहज सवालों का सामना करना होता है. इसके जवाब में ब्रायन ने कहा कि यह उनका अधिकार है कि वे किसी टीवी बहस में जाएं या नहीं.

डेरेक ने कहा कि देश में 9 पॉलिटिकल पार्टियां हैं जो कुछ खास न्यूज चैनल्स पर नहीं जाती हैं. इनमें ज्यादातर रीजनल पार्टियां हैं. डेरेक ने कहा कि न्यूजरूम को थोड़ा फेडरल होने की जरूरत है. डेरेक के सवाल पर इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लि‍शर) राज चेंगप्पा ने कहा कि इंडिया टुडे समूह राज्यों को फोकस में रख कर अपना काम कर रहा है. इंडिया टुडे ने खास तौर पर राज्यों की आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों को बेहतर ढंग से लोगों तक पहुंचाने के लिए अहम पहल की है.

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ब्रायन ने सवाल उठाया कि टीवी जर्नलिज्म में फेडरलिज्म कैसे आ सकता है. उन्होंने कहा, 'आप याद करिए कि पिछली बार नॉर्थ ईस्ट कब कवर हुआ था.' इस पर इंडिया टुडे ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा कि यह सच्चाई है कि दिल्ली से दूरी जितनी ज्यादा होती है, खबरों के चलने की गुंजाइश उतनी कम होती जाती है, यह सच है दिल्ली और मुंबई में नालों का भरना भी खबर हो जाता है.

ब्रायन ने पूछा कि कई बार फेसबुक या टि्वटर पर फेक न्यूज प्रसारित हो जाती है, इसका क्या समाधान है. इस पर राहुल कंवल ने कहा, 'हम सब जर्नलिस्ट के साथ मनुष्य भी हैं. हमारे रिपोर्टर से भी गलती हो सकती है, हम उसे सुधारते हैं.'

राज चेंगप्पा ने कहा कि हर पत्रकार को भी इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. आप कुछ गलत करते हैं, तो आपके साथ ग्रुप की विश्वसनीयता को भी क्षति पहुंचती है.

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