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भारत-ईरान के बीच 9 समझौते, मोदी बोले- आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश साथ

चाबहार पोर्ट बनने से समुद्री रास्ते से भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे.

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के भारत दौरे का आज आखिरी दिन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के भारत दौरे का आज आखिरी दिन
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तीन दिवसीय भारत दौरे के अंतिम दिन राजधानी दिल्ली में रहे. इस दौरान वो राष्ट्रपति भवन गए और राजघाट जाकर उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

भारत-ईरान द्विपक्षीय वार्ता पर विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि दोनों देशों के बीच 9 समझौते हुए हैं. इसके अलावा 4 और सहमति पत्रों पर भी साइन हुए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत-ईरान के बीच संपर्क, ऊर्जा, व्यापार और निवेश पर मुख्य रूप से चर्चा हुई है.

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हैदराबाद हाउस में राष्ट्रपति रूहानी और पीएम मोदी की मौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई. इस बैठक में दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें डबल टैक्सेशन, कृषि समेत कई क्षेत्रों जुड़े मसौदा पर समझौते हुए हैं.

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति रूहानी की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्तों में मजबूती आएगी. पीएम ने ये भी कहा कि आतंकवाद और उग्रवाद रोकने में दोनों देश साथ हैं.

राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर

दिल्ली में शनिवार सुबह राष्ट्रपति रूहानी सबसे राष्ट्रपति भवन पहुंचे. यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया. जिसके बाद रूहानी को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

यहां से राष्ट्रपति रूहानी राजघाट पहुंचे. जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. रूहानी ने इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की.

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रूहानी का तीन दिवसीय दौरा

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत के तीन दिवसीय दौरे पर गुरुवार को हैदराबाद पहुंचे थे. हैदराबाद में उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि खाड़ी देश में चाबहार बंदरगाह भारत के लिए (पाकिस्तान से गुजरे बिना) ईरान और अफगानिस्तान, मध्य एशियाई देशों के साथ यूरोप तक ट्रांजिट मार्ग खोलेगा.

ईरान ने तेल एवं प्राकृतिक गैस के अपने विशाल संसाधनों को भारत के साथ साझा करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वीजा नियमों में ढील देने की भी इच्छा जताई है. राष्ट्रपति रूहानी ने कहा है कि ईरान के पास प्रचुर मात्रा में तेल एवं गैस संसाधन हैं और वह इन्हें भारत की प्रगति तथा इसके लोगों की समृद्धि के लिए उसके साथ साझा करने की इच्छा रखता है.

भारत को चाबहार पोर्ट से क्या फायदा होगा

चाबहार पोर्ट बनने के बाद सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे. इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है.

कहां है चाबहार बंदरगाह

चाबहार दक्षि‍ण पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थि‍त एक बंदरगाह है, इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान को बाइपास करके अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा. यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की कोई भी सीमा समुद्र से नहीं‍ मिलती और भारत के साथ इस मुल्क के सुरक्षा संबंध और आर्थिक हित हैं.

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2003 में ईरान से हुआ था समझौता

इस बंदरगाह के विकास के लिए हालांकि 2003 में ही भारत और ईरान के बीच समझौता हुआ था. मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 150 मिलियन डॉलर के क्रेडिट लाइन को हरी झंडी दी थी. परमाणु कार्यक्रमों के चलते ईरान पर पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदी लगा दिए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का काम धीमा हो गया. जनवरी 2016 में ये पाबंदियां हटाए जाने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया. करार के तहत दक्षिण-पूर्वी ईरान में चाबहार बंदरगाह के लिए भारत को 8.5 करोड़ डॉलर निवेश करना है.

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