
पाकिस्तान से आई हिंदू लड़की मशल माहेश्वरी की मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुलकर सामने आ गई हैं. उन्होंने मशल के नाम ट्वीट कर अपना नंबर दिया है. उन्होंने कहा है कि मैं तुम्हारे कॉल का इंतजार कर रही हूं. स्वराज ने कर्नाटक के मेडिकल कॉलेज में मशल के दाखिले की पेशकश की है. उनकी यह पेशकश 'आज तक' पर मशल की खबर दिखाए जाने के बाद दोबारा आई है.
रंग लाई 'आज तक' की मुहिम
पड़ोसी मुल्क से आई मशल माहेश्वरी ने कहा कि क्या मैं अब डॉक्टर बनने का सपना छोड़ दूं? अपना ये करियर छोड़ दूं. मैं जो दो साल से इसी के लिए स्ट्रगल कर रही थी. मैं आकाश की कोचिंग ले रही थी. वो कोचिंग छोड़ दूं. ऐसा तो पॉसिबल नहीं है. मेरे लिए प्लीज कुछ किया जाए. 'आज तक' पर भारत सरकार से मदद की गुहार लगानेवाली मशल माहेश्वरी का दर्द आखिरकार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंच ही गया.
'आज तक' पर खबर देखने के बाद सुषमा स्वराज ने कहा था कि बिटिया तुम उदास न हो, मैं कुछ करुंगी तुम्हारे लिए. और आज फोन कर कहा कि मैं कर्नाटक के मेडिकल कालेज में तुम्हारा एडमिशन कराऊंगी और तुम्हें ज्यादा पैसे भी नहीं देने पड़ेंगे. सुषमा स्वराज ने ई मेल के जरिए सारे सार्टिफिकेट मांगे हैं. मशल के परिवार ने आज तक को इसके लिए धन्यवाद दिया है.
मेडिकल कॉलेज में दाखिले के वक्त आड़े आई नागरिकता
पाकिस्तान में जुल्म ढाए जाने के बाद दो साल पहले अपने डॉक्टर माता-पिता के साथ भागकर जयपुर पहुंची मशल ने 12वीं की परीक्षा में 91 फीसदी अंक तो हासिल कर लिया, लेकिन जब उसने मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए फार्म भरना चाहा तो नागरिक आड़े आ गई.
मशल ने 'आज तक' पर की इमोशनल अपील
मशल ने कहा कि काफी टाइम ऐसा होता है कि मैं पूरी तरह से ब्रेक हो जाती हूं. एक समय होता है जब मैं डिप्रेशन में चली जाती हूं. मुझे उस वक्त कोई रास्ता नजर नहीं आता. अभी भी इमोशनल होने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं है. मैं चाहती हूं कि मेडिकल में ही मेरा करियर हो. क्योंकि मुझे बचपन से ही इसी फील्ड से बहुत लगाव है. मेरे मम्मी-पापा दोनों इस फील्ड से हैं. मैं चाहती हूं कि इसी फील्ड से मैं भी कुछ करूं.
सुषमा स्वराज ने फिर दिलाया मदद का भरोसा
मशल की खबर देखने के बाद अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मशल को सरकार की तरफ से मदद का भरोसा दिलाया. सुषमा ने रविवार को 'आज तक' को ट्वीट कर कहा कि मेरी बच्ची निराश होने की जरूरत नहीं है. मैं मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए तुम्हारे मामले को निजी तौर पर देखूंगी. सोमवार को उन्होंने फिर ट्वीट कर अपना नंबर दिया है.
अत्याचारों के बाद पाकिस्तान से भाग कर आया मशल का परिवार
मशल का परिवार पाकिस्तान के हैदराबाद में रहता था. उसके माता-पिता दोनों डॉक्टर थे. दोनों की कमाई तीन लाख रुपए महीने थी. एक दिन मशल के पिता को अगवा करने की कोशिश की गई. इस तरह से रोज-रोज के अत्याचारों के बाद उसका परिवार जान-बचाकर किसी तरह भारत भाग आया था.
स्वराज के भरोसे से परिवार की उम्मीद जगी
मशल के डॉक्टर पिता बस तीन कपड़ों में भारत आए थे. इमरजेंसी में आए थे उनके पास तो यहां कुछ नहीं था. उन्होंने बताया कि 6 महीने तो मैं पैदल चलकर काम तलाश करता था. बस का किराया भी नहीं था. वह सबकुछ झेलकर सीढ़ी पर आए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी ड्रिग्री को हम नहीं मानते. मशल के माता-पिता की एक ही ख्वाहिश है कि किसी तरह उनकी बेटी का डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो जाए. स्वराज की पेशकश के बाद संकट में फंसे परिवार को नई उम्मीद जगी है.