
देश की सैन्य ताकत को लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार आगामी दिनों में कई बड़े फैसले करने की तैयारी में है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि सरकार सैन्य बलों में कटौती पर विचार कर रही है. बताया जाता है कि ऐसा आर्थिक बोझ बढ़ने के कारण किया जा सकता है.
बता दें कि हिंदुस्तान की सुरक्षा में थलसेना, नौसेना और वायुसेना मिलकार कुल 13 लाख सैन्यकर्मी तैनात हैं. संख्याबल के लिहाज से यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है. 'एनडीटीवी' की खबर के मुताबिक पर्रिकर ने शनिवार को कहा, 'हमें सेना में कटौती करने की जरूरत है. इसकी शुरुआत आर्मी से की जा सकती है.'
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने आर्मी से कहा है कि वे उन क्षेत्रों को चिह्नित करें, जिसमें कटौती की जा सकती है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसमें वक्त लगेगा और यह कोई ऐसा काम नहीं है जो रातभर में हो जाए.
पेंशन और वेतन का आर्थिक बोझ
खबर के मुताबिक, सेना के पेंशन और वेतन के आर्थिक बोझ की वजह से देश के विशाल सैन्य बलों में कटौती का दबाव बन रहा है. इस साल सैन्य बलों के वेतन भुगतान पर ही करीब 95 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है, जो पिछले दो साल में करीब 16 फीसदी बढ़ गया है. इतना ही नहीं, मोदी सरकार इस साल की पेंशन पर भी 82,333 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
सैन्य उपकरण के लिए बजट में कमी
बताया जाता है कि वेतन और पेंशन में लगातार बढ़ोतरी के कारण सेना के पास आधुनिक तकनीक खरीदने के लिए बहुत कम बजट बच रहा है. इस साल अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों के लिए सरकार के पास 80 हजार करोड़ रुपये का बजट है, जो पिछले साल से करीब 14 हजार करोड़ रुपये कम है.
'टेलिफोन ऑपरेटर्स की जरूरत नहीं'
पर्रिकर ने कहा, 'हर मिलिट्री स्टेशन में टेलिफोन ऑपरेटर्स होते हैं. आज के दौर में इनकी क्या जरूरत है, जब सब कुछ ऑटोमेटेड हो चुका है.' उन्होंने कहा कि विशालकाय और बोझिल सेना से बेहतर है कि छोटी लेकिन स्मार्ट सेना हो.