
दिल्ली और यूपी में अवैध तरीके से ग्राउंड वॉटर निकाले जाने से जुड़ी याचिका पर एनजीटी ने मिनिस्टरी ऑफ वॉटर रिसोर्सेज के सचिव को तलब किया है. एनजीटी दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जगह- जगह अवैध तरीके से निकले जा रहे ग्राउंड वॉटर से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
एनजीटी ग्राउंड वॉटर को लेकर कोर्ट में लगाई गई करीब आधा दर्जन जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सचिव खुद कोर्ट आकर बताएं कि मिनिस्टरी ऑफ वॉटर रिसोर्सेज ने अब तक ग्राउंड वॉटर पॉलिसी क्यों नहीं बनाई?
कोर्ट ने कहा कि पॉलिसी न होने के कारण अवैध तरीके से ग्राउंड वॉटर निकाला जा रहा है, जिससे पानी का स्तर दिल्ली एनसीआर में लगातार कम हो रहा है. और जिस एजेंसी पर ग्राउंड वॉटर लेवल को सही बनाये रहने की जिम्मेदारी है वही अपनी लापरवाही के चलते ग्राउंड वॉटर पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है. यह स्थिति स्वीकार करने लायक नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि मिनिस्ट्री को निर्देश दिए गए थे कि वो पॉलिसी बनाकर तय करे कि ग्राउंड वॉटर को निकालने के लिए किन हालातों में लाइसेंस दिया जा सकता है, और जिसके पास लाइसेंस नहीं होगा उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी, लेकिन मिनिस्ट्री ने ना तो पॉलिसी बनाई और ना ही अवैध रूप से निकले जा रहे ग्राउंड वॉटर पर कोई ठोस कार्रवाई की.
अब इस मामले में एनजीटी को 12 नवंबर को सुनवाई करनी है और उसी दिन मिनिस्टरी ऑफ वॉटर रिसोर्सेज के सचिव को कोर्ट में पेश होकर बताना होगा कि मिनिस्ट्री अब तक दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से निकाले जा रहे ग्राउंड वॉटर पर पॉलिसी अब तक क्यों नहीं बना पाई है.
पिछले एक दशक में राजधानी दिल्ली का जल स्तर लगातार गिरा है और अब यह चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है, लेकिन फिर भी अवैध रूप से जगह- जगह ट्यूबवेल लगाकर पानी को लगातार जमीन से निकला जा रहा है, समय रहते इस समस्या का समाधान ढूंढ़ा जाना जरूरी है.