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देश के वैज्ञानिकों ने डेंगू बुखार के इलाज के लिए एक पौधे से दवा बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. विश्व की आधी जनसंख्या को डेंगू होने का खतरा बना रहता है और हर साल इसके 400 मिलियन मामले सामने आते हैं. ज्यादार यह जानलेवा भी साबित होता है. अब तक इसकी कोई दवा या वैक्सीन नहीं उपलब्ध थी.
फिलहाल इस दवा के सारे प्री-ट्रायल हो चुके है और क्लीनिकल ट्रायल को अंजाम देने के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर जैनेटिक एंड बायोटेक्नोलॉजी, साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने सन फॉर्म के साथ एक करार साइन किया है.
आसान नहीं था वायरस का इलाज ढूंढ़ना
इस प्रोजेक्ट से जुड़े मुख्य वैज्ञानिक नवीन खन्ना ने बताया कि पिछले 10 साल से लगभग 10 वैज्ञानिकों की टीम इस पर काम कर रही थी. इस दौरान 19 पौधों का पूरी तरह से अध्ययन किया गया. सभी में डेंगू के किसी न किसी वायरस से होने वाले लक्षण जैसे बुखार, मांसपेशियों का दर्द, शरीर पर लाल चकतों का पड़ना आदि, लेकिन कई ट्रायल के बाद इनमें से एक पौधा ऐसा मिला जिसमें डेंगू को फैलाने के लिए जिम्मेदार चारों वायरस से पैदा होने वाले लक्षणों से लड़ने की क्षमता थी. डॉ. खन्ना ने बताया कि ये ट्रायल इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था कि एक वायरस का नहीं बलिक चार-चार वायरस से होने वाली बीमारियों का इलाज ढूंढ़ना था.
दवा को लेकर ये है अच्छा संकेत
किसामपलोस नामक इस पौधे को हिन्दी मे लघु पाठा के नाम से भी जाना जाता है और ये मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा साउथ के कई इलाकों मे बडी संख्या में उगते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इस पौधे की पत्तियों को सुखाकर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है और एक किलो पत्तियों से हमें 100 ग्राम दवा बनाने की सामग्री मिल रही है जो एक बहुत अच्छा संकेत है. बहुत बार देखा गया है कि किलो दो किलो चीजों में से दवा बनाने के लिए 1 या 2 ग्राम ही सामान मिल पाता है इसलिए रिसर्च के दौरान हमें सामग्री की कभी दिक्कत नहीं हुई और उम्मीद है कि आगे भी नही होगीं.
चार में बाजार में उपलब्ध होंगे कैप्सूल
फिलहाल क्वीनिकल ट्रायल के दौरान इस दवा से होने वाली toxicity यानी ये कितनी जहरीली हो सकती है इसका परीक्षण पशुओं पर किया जाएगा और सफलता मिलने पर मानव ट्रायल शुरू होगा. वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि आने वाले चार सालों में वो डेंगू के इलाज के लिए कैप्सूल बाजारों में उतार देंगे और ये एक क्रांति होगी.
100 से ज्यादा देशों में है डेंगू का खतरा
आपको ये जानकर हैरानी कि वर्ष 1970 से पहले डेंगू केवल 9 देशों में फैलता था लेकिन आज-कल 100 से ज्यादा देश इसकी चपेट में आ चुके हैं. भारत के लिए ये सचमुच हर तरह से खतरनाक है इससे हर साल ना जाने कितने लोग मौत के शिकार हो जाते हैं बल्कि आंकड़े बताते हैं कि इससे पीड़ित लोगों के इलाज पर हर साल 500 मिलियन का खर्च सामने आता हैं साथ ही लोगों के काम पर न जाने से इतना ही नुकसान और हो जाता हैं इस दवा की देश में बनाने की तैयारी को मिनिस्ट्री मेक इन इंडिया से भी जोड़ रही है और प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) को भी बाखूबी अंजाम दे रही है. फिलहाल अब सभी को इंतजार है कब दवा बनकर तैयार होगी और न केवल देश को बल्कि विश्वभर के लोगों को राहत देगी.