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नोटबंदी पर रेलवे का बड़ा फैसला, 5 हजार से ज्यादा का रिफंड सीधे अकाउंट में आएगा

रेलवे ने पीआरएस काउंटर से हो रही टिकट बुकिंग में नकदी की दिक्कत से बचने के लिए टिकट कैंसिलेशन में 5000 या इससे ज्यादा की रिफंड को संबंधित व्यक्ति के खाते में देने का फैसला किया है. इससे पहले 10 नवंबर को खाते में रिफंड की लिमिट 10000 से ज्यादा की थी. रेलवे के आला अफसरों के मुताबिक ऐसा दो वजहों से किया गया है पहली वजह है कि रेलवे काउंटर को नकदी की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

रेलवे का फैसला रेलवे का फैसला
सबा नाज़/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:06 PM IST

रेलवे ने पीआरएस काउंटर से हो रही टिकट बुकिंग में नकदी की दिक्कत से बचने के लिए टिकट कैंसिलेशन में 5000 या इससे ज्यादा की रिफंड को संबंधित व्यक्ति के खाते में देने का फैसला किया है. इससे पहले 10 नवंबर को खाते में रिफंड की लिमिट 10000 से ज्यादा की थी. रेलवे के आला अफसरों के मुताबिक ऐसा दो वजहों से किया गया है पहली वजह है कि रेलवे काउंटर को नकदी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. ज्यादातर लोग टिकट बुकिंग के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट लेकर ही आ रहे हैं क्योंकि रेलवे को 24 तारीख तक पुराने नोट लेने के लिए निर्देश मिले हैं लिहाजा लोगों को मना भी नहीं किया जा सकता.

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दरअसल रेलवे काउंटर पर ज्यादातर लोग बड़े नोट लेकर ही आ रहे हैं इस वजह से टूटे पैसों की बड़ी दिक्कत हो रही है. दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि जो लोग अपने काले पैसे को सफेद करने की उम्मीद में रेलवे में टिकट बुक कराना चाह रहे हैं तो ऐसे लोगों को रोकने के लिए यह फैसला किया गया है.

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक 8 तारीख को जब नोट बंदी घोषित की गई थी तब तक रेलवे में काउंटर पर एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए PRS बुकिंग बंद हो चुकी थी. 8 तारीख को टिकट की कुल बुकिंग 109.5 करोड़ की हुई थी इसमें PRS बुकिंग 45 करोड़ रुपये की थी. 9 तारीख को नोट बंदी के तहत रेलवे पुराने नोट ले रहा था इस वजह से तमाम जगहों पर लोगों ने एसी वन, एसी टू और एसी 3 में हजारों टिकट बुक कराए इस वजह से 9 तारीख को रेलवे ने कुल 126.8 करोड़ रुपये की टिकट बुकिंग इसमें 67.4 करोड रुपये की टिकट पीआरएस के जरिए बुक कराई गई थी. यानी टिकट काउंटर पर लोग 500 और 1000 के नोट देकर अंधाधुंध टिकट बुक करा रहे थे. यह टिकट बुकिंग की उम्मीद में कराई जा रही थी कि जब टिकट कैंसिल कराई जाएगी तो रेलवे पुराने नोटों की जगह बुक कराने वाले को करारे करारे नए नोट देगा इससे लोगों को यह उम्मीद बंधी कि चलो काले धन का कुछ हिस्सा तो सफेद हो जाएगा.

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लेकिन 10 तारीख को जब रेलवे के आला अफसरों के पास इस तरह की खबरें पहुंचने लगी तो उन्होंने आनन-फानन में एक फैसला लिया. वह फैसला यह था कि जो लोग भी 14 नवंबर तक ₹10000 से ज्यादा की टिकट बुक कराएंगे तो ऐसे लोगों को रेलवे नकद रिफंड नहीं देगी बल्कि इस तरह का पैसा संबंधित व्यक्ति के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा. जब यह फैसला लिया गया तब शाम हो चुकी थी 10 तारीख को हुई बुकिंग पर नजर डालें तो 10 तारीख को 126.2 करोड़ रुपये की टिकट बुकिंग कराई गई और इसमें से पीआरएस के जरिए कराई गई बुकिंग 59.55 करोड़ रुपये की थी. यानी एक दिन पहले के मुकाबले फैसले की वजह से कमी आई.

₹10000 से ज्यादा की टिकट के कैंसिलेशन की रकम संबंधित व्यक्ति के अकाउंट में देने का फैसला रंग लाया 11 तारीख को, इस दिन रेलवे के जरिए अपने काले धन को सफेद करने की उम्मीद मानदेय लोगों को जब यह नजर आने लगा कि अब कोई रास्ता नहीं है तो उन्होंने बुकिंग कम कराई 11 तारीख को 110 करोड़ रुपये की धन राशि की टिकट बुकिंग हुई इसमें पीआरएस काउंटर पर बुकिंग महज 45.9 करोड़ रुपये की रही. यानी 1 दिन पहले की बुकिंग के मुकाबले तकरीबन 25 फीसदी की सीधी गिरावट. इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि रेलवे के फैसले ने लोगों की गलतफहमी जल्द ही दूर कर दी और रेलवे के टिकट के जरिए अपने काले धन को सफेद बनाने की फिराक में लगे लोग हताश हो गए.

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12 तारीख की बात करें तो रेलवे की टिकट बुकिंग का आंकड़ा महज 98 करोड़ रुपये का ही रहा इसमें पीआरएस काउंटर पर बुकिंग और गिर कर 37 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. 13 तारीख को रेलवे की टिकट बुकिंग 79 करोड़ रुपये की रही और पीआरएस काउंटर पर बुकिंग घटकर सिर्फ 23 करोड़ रुपये की रह गई. 14 तारीख की बात करें तो इस दिन कुल टिकट बुकिंग 106 करोड़ रुपये की हुई जिसमें पीआरएस टिकट बुकिंग 44 करोड़ रुपये की रही. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है रेलवे के टिकट बुकिंग काउंटर के जरिए अपने पैसे को सफेद बनाने की जुगत करने वाले लोग अब यहां पर नहीं आ रहे हैं. इन स्थितियों में रेलवे ने टिकट कैंसिलेशन में गैस रिफंड की लिमिट 10,000 से घटाकर ₹5000 कर दी है इससे निश्चित तौर पर उन लोगों को तेज झटका लगेगा जो रेलवे से टिकट करा कर अपने पैसे को सफेद करना चाह रहे हैं.

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