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'सीधी बात' में पासवान ने दलितों के गुस्से की वजह बताई

देश में दलितों की नाराजगी के एक सवाल पर पासवान ने कहा कि दलित का गुस्सा स्वाभाविक है. हमारी जनरेशन और चिराग पासवान की जनरेशन दोनों में बुनियादी फर्क है. हमारी जनरेशन के लोग थे, जिन्होंने जुल्म को सह लिया और गाली को सुन लिया, लेकिन जो नई जनरेशन के लोग हैं, वो इज्जत और सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं. वो टूट सकते हैं, लेकिन झुकने को तैयार नहीं हैं.

सीधी बात कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान सीधी बात कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान
श्वेता सिंह/राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 05 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने ‘आजतक’ के फ्लैगशिप शो ‘सीधी बात’ में कई अहम मुद्दों पर एंकर श्वेता सिंह से बेबाक बातचीत की. इस दौरान उन्होंने दलितों के गुस्से और अंबेडकर के मसले पर अपनी बात रखी.

देश में दलितों की नाराजगी के एक सवाल पर पासवान ने कहा, “दलित का गुस्सा स्वाभाविक है. हमारी जनरेशन और चिराग पासवान की जनरेशन दोनों में बुनियादी फर्क है. हमारी जनरेशन के लोग थे, जिन्होंने जुल्म को सह लिया और गाली को सुन लिया, लेकिन जो नई जनरेशन के लोग हैं, वो इज्जत और सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं. वो टूट सकते हैं, लेकिन झुकने को तैयार नहीं हैं. आजादी के बाद से जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, बाबा साहब अंबेडकर के विचार मुखर होकर सामने आ रहे हैं.''

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उन्होंने कहा कि दलितों की नाराजगी की वजह ये भी है कि हम अपनी बात को सही ढंग से रख नहीं पाते हैं. लोगों तक नहीं पहुंचा पाते हैं. क्योंकि हमारे जो आदमी हैं, दलित वर्ग के लोग हैं, वो आज भी बहुत पिछड़े हुए हैं. उनको बार-बार समझाने की जरूरत होती है कि हमने तुम्हारे लिए क्या किया? उदाहरण के लिए ऊना में और झज्जर में घटनाएं घटीं, झज्जर में थाने के सामने 5 दलितों को जिंदा जला दिया गया. सरकार ने ऊना के मामले में क्विक एक्शन लिया. ये सारी की सारी चीज़ें हुईं, लेकिन हम इन्हें ढंग से बता नहीं पाते हैं, नतीजा ये होता है कि इंप्रेशन ठीक से जा नहीं पाता है.”

जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि ऐसे मुद्दों पर आपकी आवाज सशक्त तौर पर नहीं सुनाई देती है? तो उन्होंने कहा, “जहां तक दलित एक्ट का मामला है, जब ये बना तब हम मिनिस्टर थे और वीपी सिंह की सरकार थी 1989 में. उसमें 22 प्वाइंट थे कि ये होगा तो अपराध माना जाएगा. नरेंद्र मोदी की सरकार आई, तो 26 जनवरी 2016 से (एक्ट) लागू हुआ, तो उसमें 22 की बदले 47 प्वाइंट थे. अब कोई कोर्ट में चला गया.

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उन्होंने कहा कि धारा में ये था कि किसी के खिलाफ एफआईआर हुई, तो गिरफ्तारी होगी. इन्होंने कहा कि गिरफ्तारी नहीं होगी, उसको एंटिसिपेटरी बेल मिल सकती है. पहले सीनियर अफसर उसकी जांच करे कि वो सही है या नहीं. हालांकि हमने इसे संविधान की धारा 15(4) के तहत बनाया था, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए स्पेशल प्रोविजन की आवश्यकता है, तो कानून बना सकते हैं.

जब उनसे पूछा गया कि आखिर रिव्यू पेटिशन दाखिल करने में मोदी सरकार की ओर से देर क्यों की गई? इसके जवाब में पासवान ने कहा, “अब कोर्ट ने कहा कि जेल नहीं होगा, तो गुस्सा हमारे (सरकार) पर क्यों था? गुस्सा तो कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ था. हमें भी आक्रोश था, इसलिए हमारी पार्टी से चिराग पासवान ने तुरंत रिव्यू पेटिशन दाखिल किया.''

उन्होंने कहा कि इसके बाद हम लोग प्रधानमंत्री से मिले. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि रिव्यू पेटिशन हम लोग दायर करेंगे. इस बीच छह दिन की छुट्टी हो गई, लेकिन हम इस बात को मानते हैं कि अगर लॉ मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट एक्टिव रहता, तो दिक्कत नहीं होती. सबको एक ही साथ बैठाकर, बजाए कि कागज यहां से वहां जाता, फाइल वहां से यहां आए, निर्णय ले सकता था क्योंकि सरकार ने तो निर्णय ले लिया था.

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कोर्ट का रुख सुनने के बाद भी आप अध्यादेश के पक्ष में हैं? इस पर लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पासवान का कहना था, “कोर्ट का क्या जजमेंट होगा, वो तो हमारे हाथ में नहीं है. लेकिन हां, हम घोषणा करते हैं सरकार की तरफ से, क्योंकि पीएम ने हाई पॉवर कमेटी बनाई थी, हमने ये निर्णय ले लिया है. कोर्ट को गंभीरता से सोचना चाहिए और उसके बावजूद भी नहीं किया है तो फिर ऑर्डिनेंस लाएंगे.”

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