
भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने 2010 में प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना शुरू की थी. 2015 में इस स्कीम में स्कॉलरशिप के नियमों में इतने बदलाव कर दिए गए कि जम्मू-कश्मीर के बच्चे स्कॉलरशिप नहीं मिलने से पढ़ाई छोड़कर वापस लौट रहे हैं.
रोकी गई जम्मू-कश्मीर के छात्रों की स्कॉलरशिप
फिलहाल देशभर के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले साढ़े 12 हजार जम्मू-कश्मीर के छात्रों की स्कॉलरशिप रोक दी गई है. इन बच्चों का कहना है कि प्रधानमंत्री समेत सभी मंत्रियों को इसके लिए लिख चुके हैं. संसद में जम्मू-कश्मीर के प्रति सांसदों के लगाव की बातें सुनकर देश के सभी सांसदों को तीन-तीन बार लिखा है, लेकिन अब तक एक का भी जवाब नहीं आया है.
जयपुर के ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी में करीब 600 छात्र जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीनों ही जगह से पढ़ने आए हैं. इन सबने ने राज्य के बाहर प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना के तहत यहां दाखिला लिया था, मगर अचानक से होटल मैनेजमेंट के छात्रों को छोड़कर सभी छात्रों की स्कालरशिप बंद कर दी गई है. 2015 में आने वाले छात्रों की स्कॉलरशिप मिली ही नहीं है.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने शुरू की थी योजना
दरअसल 2008-09 में जब कश्मीर जल रहा था, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जम्मू-कश्मीर के छात्रों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर साल पांच हजार छात्रों को राज्य के बाहर के कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया था. 2010 में सेना की मदद से भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने यह योजना शुरु की.
2015 में देश में आई नई सरकार ने इसे मानव संसाधन मंत्रालय से हटाकर एआईसीटीसी को दे दी. अब यहां 2013 में पढ़ने आए छात्रों की स्कॉलरशिप 2015 में ये कहकर बंद कर दी गई कि आपके यूनिवर्सिटी का 12 बी सर्टिफिकेट नहीं है यानी सरकार या सरकार से फंडेड यूनिवर्सिटी नहीं है. ये नया नियम 2015 में जोड़ा गया है.
नाराज होकर आतंकियों के पास गया एक छात्र
बीसीए थर्ड इयर के छात्र इम्तियाज अहमद ने बताया कि अब पढ़ाई छोड़कर जाएंगे, तो क्या करेंगे. इस नियम का हवाला देकर पैसे नहीं देने से नाराज छात्र कह रहे हैं कि बहुत सारे छात्र लौट गए हैं, जो पत्थर चलाने पर मजबूर हैं. कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीटेक का एक छात्र इससे इतना दुखी हो गया कि आतंकियों के पास चला गया.
लोन लेकर पढ़ने की दी सलाह
बीसीए के ही छात्र मोहम्मद बिलाल का कहना है कि उन्होंने एचआरडी और एआईसीटीसी को पत्र लिखा, फिर मिलने भी गए, लेकिन वहां बैंक से लोन लेकर पढ़ाई करने की सलाह दे दी गई. छात्र का कहना है, 'अब हमें लोन ही लेकर पढ़ना था, तो वहीं पढ़ लेते पीएमएसएस के तहत क्यों आते.'
एआईसीटीसी पर धांधली का आरोप
इसी तरह से कई यूनिवर्सिटी को कह दिया गया कि वे एआईसीटीसी से अप्रुव्ड नहीं है, जबकि एआईसीटीसी को यूनिवर्सिटी के कोर्स को सर्टिफाई करने का अधिकार नहीं है. छात्रों का कहना है कि इस तरह के बर्ताव से जम्मू-कश्मीर में अफवाह फैल रही है कि ये सेना की स्कीम है और आर्मी बच्चों को फंसा रही है. इस बार काउंसलिंग में छात्रों का आरोप है कि एआईसीटीसी ने धांधली की है.
मुहम्मद तकी को पहले मध्य प्रदेश के एक गांव में बीसीए करने भेज दिया गया, जहां प्रिंसिपल ने कहा कि ये कौन सी स्कीम है. हमें पता नहीं है, तुम तो पूरे पैसे लाओ. जब वे फिर एआईसीटीसी गए, तो दिल्ली के वीमेन्स कॉलेज भेज दिया और तब तक 60 दिन की समय सीमा निकल गई. फिर सेना के एक कर्नल, जिसने स्कालरशिप का फॉर्म भरवाया था, उसकी मदद से जयपुर पहुंचे और तब से दिल्ली, श्रीनगर और जयपुर का चक्कर काट रहे हैं.
2013 से ही यूनिवर्सिटी आ रहे हैं छात्र
ज्ञानविहार यूनिवर्सिटी जयपुर के प्रो-वाइस चांसलर कर्नल पीएस भटनागर का कहना है कि उनके पास 2013 से ही प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना के तहत छात्र आ रहे हैं, लेकिन अचानक नियमों में किए गए बदलाव की वजह से पैसा मिलना बंद हो गया है. छात्र घबराए हुए हैं. मानवता के आधार पर यूनिवर्सिटी सारा खर्च उठा रही है. फिर भी श्रीनगर के एक छात्र ने जान देने की कोशिश की और परेशान होकर भाग गया.
पाकिस्तान ने भी शुरू की है ऐसी ही योजना
यह योजना जम्मू-कश्मीर के गांवों और गरीब बच्चों के लिए शुरू की गई थी, लेकिन बच्चों तक यह योजना पहुंच ही नहीं पाती. उधर इसी तरह की प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप जम्मू एंड कश्मीर योजना पाकिस्तान सरकार ने शुरु की है, जिसका जम्मू-कश्मीर में खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इन बच्चों को दुख इस बात का है कि इसी यूनिवर्सिटी में भारत सरकार इनके साथ पढ़ने वाले नेपाली छात्रों को नेपा योजना के तहत स्कॉलरशिप दे रही है, मगर इन्हें नहीं दे रही है. यहां तक की बिहार और मध्यप्रदेश सरकार भी इनके साथ पढ़ने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप दे रही है. फिलहाल अकेले राजस्थान में करीब 10 हजार जम्मू-कश्मीर के छात्र पढ़ रहे हैं.