Advertisement

तीन तलाक बिल लागू होने पर मुस्लिम महिलाओं के लिए क्या कुछ बदल जाएगा

‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' बिना किसी संशोधन के लोकसभा से पास हो गया. राज्यसभा में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून का शक्ल अख्तियार कर लेगा. ऐसे में सबकी दिलचस्पी इस बात में है कि इसका असर क्या होगा. मुस्लिम महिलाओं को अब अगर कोई तीन तलाक देता है, तो क्या विकल्प होंगे और उनके लिए इससे क्या कुछ बदलेगा.

तीन तलाक बिल से मुस्लिम महिलाओं को क्या कुछ मिलेगा तीन तलाक बिल से मुस्लिम महिलाओं को क्या कुछ मिलेगा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

तीन तलाक को जुर्म घोषित करने और सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक गुरुवार को लोकसभा में करीब छह घंटे की लंबी बहस के बाद पारित हो गया. बिल का नाम ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' है. बिना किसी संशोधन के पास इस विधेयक के तहत अब ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध बनाया गया है. राज्यसभा में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून का शक्ल अख्तियार कर लेगा. ऐसे में सबकी दिलचस्पी इस बात में है कि इसका असर क्या होगा. मुस्लिम महिलाओं को अब अगर कोई तीन तलाक देता है, तो क्या विकल्प होंगे और उनके लिए इससे क्या कुछ बदलेगा.

Advertisement

क्या बदलेगा?

तीन तलाक विरोधी कानून लागू होने के बाद अगर कोई पति अपनी पत्नी को एक समय में तीन तलाक देता है, तो पत्नी कानून की शरण में जाकर न्याय की लड़ाई लड़ सकेगी. ये कानून मुस्लिम महिलाओं को वैधानिक ताकत देगा.

तीन तलाक पीड़ित महिला को मजिस्ट्रेट के पास जाने की ताकत देगा. इससे महिला अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकेगी और अपने हक को हासिल कर पाएगी. इस बिल के बाद तीन तलाक देना एक जुर्म माना जाएगा.

तीन तलाक विरोधी कानून का लाभ देश के मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं, जिन्हें इसका लाभ मिलेगा.

विधेयक में प्रावधान

किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी को एक साथ एक समय में तीन तलाक चाहे बोलकर, लिखकर या मोबाइल, कम्प्यूटर के जरिए वाट्सएप, फेसबुक, मेल आदि के रूप में करता है तो उसे गैरकानूनी माना जाएगा.

Advertisement

एक साथ तीन तलाक देने वाले को एक साल से तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. इसके लिए पत्नी को कोर्ट में ये साबित करना पड़ेगा कि उसके पति ने उसे एक समय में तीन तलाक दिए हैं.

तीन तलाक पीड़ित पत्नी और बच्चों के जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता मिलेगा. पत्नी नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा की भी हकदार हैं.

विधेयक पर  सवाल और आपत्तियां

-पति जेल में होगा तो पत्नी और बच्चों का खर्च कौन देगा

-जब तीन तलाक अवैध है तो सजा क्यों और कैसी

-किसी तीसरे की शिकायत पर केस कैसे

-शरीयत के खिलाफ है तीन तलाक बिल

आकड़ों से समझे समस्या

सुप्रीमकोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक को अवैध करार दिया था. इसके बाद माना जा रहा था कि तीन तलाक पर रोक लगेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. कोर्ट के फैसले के बाद करीब 100 मामले सामने आए हैं. यूपी में सबसे ज्यादा मामले आए हैं. 

मुस्लिम समुदाय में तलाक के मामले को देखें तो 4 तलाकशुदा महिला की तुलना में सिर्फ एक पुरुष ही तलाकशुदा है.

2001 से 2011 की बीच मुस्लिम महिलाओं को तलाक देने में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

49 फीसदी मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 साल के बीच हो जाती है.

Advertisement

13.5 फीसदी मुस्लिम लड़कियों की शादी 15 वर्ष से पहले हो जाती है.

ये मुद्दे भी उठेंगे अब

तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद अब राज्यसभा से पारित होना है. ऐसे में मुस्लिम महिलाओं जिन्होंने तीन तलाक को अवैध कराने और कानून बनवाने में अहम भूमिका अदा की है. वो अब आगे बहुविवाह और हलाला के खिलाफ अभियान चलाने के मूड में हैं. आने वाले समय में इन मुद्दों को लेकर महिलाएं सड़क पर उतर सकती हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement