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पंचायत चुनाव: दिलीप घोष की धमकी- TMC को जवाब देंगे हमारे कार्यकर्ता

घोष ने आरोप लगाया कि टीएमसी नेता पुलिस के सामने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं और वह मूकदर्शक बनी है. उन्होंने कहा कि बंगाल पुलिस से हमारा भरोसा उठ गया है.

बंगाल बीजेपी नेता दिलीप घोष बंगाल बीजेपी नेता दिलीप घोष
जावेद अख़्तर/इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 09 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के मसले पर सुप्रीम कोर्ट से भारतीय जनता पार्टी को झटका लगा है. कोर्ट ने पार्टी की प्रदेश यूनिट की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

कोर्ट के इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि हम इससे नहीं रुकेंगे. घोष ने ऐलान किया कि हमारे कार्यकर्ता इस लड़ाई को लड़ेंगे और जहां भी हम मजबूत होंगे वहां टीएमसी को करारा जवाब देंगे.

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पुलिस पर आरोप

दिलीप घोष ने बंगाल पुलिस पर गंभीर इल्जाम लगाए. घोष ने कहा कि टीएमसी नेता पुलिस के सामने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं और वह मूकदर्शक बनी है. उन्होंने कहा कि बंगाल पुलिस से हमारा भरोसा उठ गया है.

दिलीप घोष ने बताया कि 2013 के चुनाव में राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर केंद्रीय फोर्स की मांग की थी. घोष ने बताया हमने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ कहा है कि जहां भी आप मजबूत हों, वहां हर तरीके से टीएमसी कार्यकर्ताओं से मुकाबला करें.

ये है पूरा मामला

दरअसल, बंगाल में अगले महीने के पहले हफ्ते (1, 3 और 5 मई) में पंचायत चुनाव होने हैं. जिसके लिए नामांकन भरने के दौरान हिंसक झड़प की खबरें सामने आईं. आरोप लगे कि इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की पिटाई की गई और उन्हें नामांकन भरने से रोका गया.

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याचिका में की थी ये मांग

इस घटना के बाद बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा था कि ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रहे हैं और उन्हें राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. याचिका में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती कर नामांकन प्रक्रिया को दुरुस्त कराने की मांग की गई थी.

कोर्ट ने ये याचिका खारिज करते हुए इस मामले में हस्तक्षेप न करने की बात कही. हालांकि, न्यायाधीश आर.के. अग्रवाल और न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने असंतुष्ट उम्मीदवारों को राज्य निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दे दी.

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