
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का असल मालिक रामलला विराजमान को माना है. इसके साथ ही सरकार को 3 महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय करने को भी कहा गया है. जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार द्वारा बनाए जाने वाले 'अयोध्या ट्रस्ट' को लेकर विवाद शुरू हो गया है. हर दिन ट्रस्ट के नए-नए दावेदार सामने आ रहे हैं. सबसे पहले रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा था कि जब एक ट्रस्ट (रामजन्मभूमि न्यास) पहले से है तो नए ट्रस्ट की जरूरत ही क्यों है.
'रामालय न्यास को मिले मंदिर बनाने की जिम्मेदारी'
अब श्रीराम जन्मभूमि रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का दावा है कि उनका न्यास मंदिर निर्माण के लिए विधिक और व्यवहारिक तौर पर सर्वाधिक उपयुक्त है. इसे लंबे समय से सबका सहयोग मिल रहा है. इसमें शामिल सभी सनातन धर्माचार्यों का सहयोग मिलता रहा है. राजनीति से इस मामले को दूर रखते हुए रामालय न्यास को ही अयोध्या में रामलला मंदिर बनाने और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जाए.
विश्व हिन्दू परिषद पर लगाए आरोप
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा, "रामालय न्यास को पूरा भरोसा है कि सरकार रामालय न्यास को ही मंदिर बनाने का दायित्व देगी. संन्यासी तो सबपर भरोसा करता है. पता तो तब चलता है जब भरोसा टूटता है. विश्व हिन्दू परिषद ने बिना जमीन का मालिकाना हक मिले नक्शा बनाकर मंदिर का मॉडल बनाकर चंदा वसूल लिया. हमारा न्यास जमीन के हिसाब से नक्शा बनाकर मंदिर निर्माण कराएगा."
एक लाख 8000 भक्त एक साथ करेंगे पूजा
मंदिर के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे कहा, "माता कौशल्या की गोद में रामलला की 108 फुट ऊंची प्रतिमा होगी. मंदिर का शिखर 1008 फुट ऊंचा होगा. रामलला का दिव्य विग्रह होगा. 22000 वर्गमीटर में मंदिर बनेगा. एक लाख 8000 भक्त एक साथ पूजा दर्शन कर सकेंगे".