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यूपी में चुन-चुनकर दांव लगाना चाहती है कांग्रेस, प्रियंका पर टिकी निगाहें

यूपी कांग्रेस में इस वक्त सारी खबरें प्रियंका गांधी के इर्द-गिर्द ही सिमट गई हैं. हालत ये हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री के इस्तीफे के बारे में भी यहां कोई सुगबुगाहट नहीं है.

प्रियंका गांधी प्रियंका गांधी
स्‍वपनल सोनल/बालकृष्ण
  • लखनऊ,
  • 12 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

चुनाव के वक्त आमतौर पर राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों में कार्यकर्ताओं और नेताओं की जबरदस्त गहमागहमी रहती है. लेकिन हैरानी की बात है कि लखनऊ में कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में ना तो टिकट लेने वालों की भीड़ दिखती है और ना ही कार्यकर्ताओं का जमावड़ा.

प्रियंका के इर्द-गिर्द सिमटी कांग्रेस और खबरें
यूपी कांग्रेस में इस वक्त सारी खबरें प्रियंका गांधी के इर्द-गिर्द ही सिमट गई हैं. हालत ये हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री के इस्तीफे के बारे में भी यहां कोई सुगबुगाहट नहीं है. हालांकि मंगलवार शाम अभिनेता से नेता बने राज बब्बर को यूपी कांग्रेस की कमान मिलने के बाद पार्टी दफ्तर में मिठाइयां जरूर बांटी गई हैं.

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सवाल कई, लेकिन जवाब नदारद
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को लेकर तमाम सवाल हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है. प्रियंका गांधी अगर उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगी तो कितना करेंगी? शीला दीक्षित की भूमिका क्या होगी? प्रियंका गांधी का चुनाव प्रचार आक्रामक और व्यापक होगा या फिर उनके जादू को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बचाकर इस्तेमाल किया जाएगा? इन तमाम सवालों के जवाब में कांग्रेस के नेता सिर्फ यह कहकर जान छुड़ाते हैं कि बहुत जल्दी इन सब पर फैसला होने वाला है.

राहुल के प्रचार से सबक लेगी कांग्रेस!
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ये तैयारी कर रही है कि प्रियंका, राहुल और सोनिया गांधी का इस्तेमाल इस तरह से किया जाए कि उनके चुनाव प्रचार को ज्यादा से ज्यादा जीत में बदला जा सके. कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के चुनाव प्रचार से सबक सीख चुकी है. पिछले चुनाव में राहुल ने तमाम रोड शो के अलावा 200 से ज्यादा जन सभाएं कीं, लेकिन कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा.

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महत्वपूर्ण सीटों की पहचान में जुटी पार्टी
प्रशांत किशोर की टीम के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी उन मजबूत सीटों की पहचान करने में जुटी है, जहां उसे जीत की सबसे ज्यादा उम्मीद है. कांग्रेस पार्टी चुनाव तो सभी सीटों पर लड़ेगी, लेकिन ऐसी लगभग 145 सीटें हैं, जहां पार्टी सबसे ज्यादा ताकत लगाने की सोच रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 60 सीटों पर या तो जीती थी या दूसरे नंबर पर रही थी. इसके अलावा उन सीटों पर भी ध्यान दिया जा रहा है, जहां पिछली बार कांग्रेस पार्टी को बीस हजार से ज्यादा वोट मिले थे.

अच्छी पकड़ रही, तभी मिलेगा टिकट
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था. लेकिन कांग्रेस पार्टी की नजर उन विधानसभा सीटों पर है, जहां उसे लोकसभा चुनाव में भी उसे अच्छे वोट मिले थे. इन मजबूत सीटों की पहचान करके अच्छे उम्मीदवार खोजने का काम शुरू हो चुका है. इसमें प्रशांत किशोर की टीम कांग्रेस पार्टी की मदद कर रही है. टिकट की इच्छा रखने वाले नेताओं से कहा गया है कि उन्हें टिकट तभी दिया जाएगा जब वह साबित कर सकें कि उस इलाके पर उनकी अच्छी पकड़ है. बूथ लेवल तक पार्टी के कार्यकर्ताओं की पहचान की जा रही है.

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जीत को लेकर पार्टी में संशय
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के कुछ पूर्व सांसदों और पूर्व मंत्रियों को भी, विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा जा सकता है. इस बात का भी खाका तैयार किया जा रहा है कि सोनिया, राहुल और प्रियंका के अलावा कांग्रेस के दूसरे बड़े नेताओं का चुनाव प्रचार में किस तरह से इस्तेमाल किया जाए. पार्टी के नेता भी मानते हैं इस बार कांग्रेस यूपी में सत्ता में आ जाए, ये प्रियंका गांधी से चुनाव प्रचार करवाने के बाद भी संभव नहीं दिखता.

हालांकि, अगर पार्टी मजबूत सीटों पर पूरी ताकत लगाकर अच्छी संख्या में सीटें जीत लेती है और चुनाव के बाद किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो कांग्रेस पार्टी की किस्मत का 27 वर्षों से बंद ताला खुल सकता है.

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