
यूपी में सत्तारूढ़ यादव परिवार में मचे घमासान के बीच बैठकों और मुलाकातों का दौर जारी है. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कलह शांत करने की कमान खुद संभाल ली है. इस घमासान ने गंभीर रूप उस वक्त अख्तियार कर लिया जब सीएम अखिलेश यादव ने नेताजी की सलाह मानने से भी इनकार कर दिया और नाराज शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी और सरकार के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. अब पार्टी, परिवार और सरकार में टूट की आशंका को रोकने के लिए अखिलेश के सामने कुछ विकल्प बचे हैं...
1. अखिलेश नेताजी के आदेश के मुताबिक बर्खास्त मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राज किशोर सिंह को कैबिनेट में बहाल कर सकते हैं. सीएम ने नेताजी की सलाह के बिना ही इनकी कैबिनेट से छुट्टी कर दी थी.
2. अखिलेश शिवपाल सिंह यादव को पीडब्ल्यूडी और सिंचाई जैसे अहम विभाग लौटाकर उनकी नाराजगी दूर कर सकते हैं. सीएम ने प्रदेश सपा अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद चाचा शिवपाल से ये अहम विभाग छीन लिए थे.
3. अखिलेश अगर इन विकल्पों को मानने को तैयार नहीं होते हैं तो उनके पास सीएम की कुर्सी छोड़ने का विकल्प है. हालांकि अखिलेश ने कहा है कि परिवार में कोई झगड़ा नहीं है और वो नेताजी की हर बात मानने को तैयार हैं. अखिलेश ने यह भी कहा है कि वो सभी पद और विभाग छोड़ने के लिए तैयार हैं.
4. अगर सीएम की कुर्सी छोड़ देते हैं तो अखिलेश के पास सपा प्रदेश अध्यक्ष बनने का विकल्प है. उन्होंने संकेत भी दिए हैं कि उन्हें सपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी फिर से सौंप दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें टिकट बांटने का अधिकार दिया जाए. मुलायम ने सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद अखिलेश से छीनकर शिवपाल को दे दिया था.
5. अखिलेश को पार्टी मुखिया के आदेशों को लेकर मतभेद जाहिर नहीं करना चाहिए. चुनाव में अब छह महीने बचे हैं. ऐसे में अखिलेश के सामने नेताजी की बातें मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सपा आलाकमान अगर कौमी एकता दल का विलय भी करता है तो चुनाव के मद्देनजर अखिलेश को इसमें अड़ंगा नहीं डालना चाहिए .