
यूपी की हार के बाद कांग्रेस नेताओं ने अब राहुल गांधी से दो टूक बात करनी शुरू कर दी है. नेताओें की तमाम शिकायतों के बाद अब राहुल गांधी अपनी रणनीति में बदलाव करने जा रहे हैं.
नाम न छापने की शर्त पर राहुल से मिलने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आजतक से कहा, 'मोदी विरोध की माला जपते-जपते कांग्रेस ने मोदी को मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनवा दिया और 2014 से राहुल गांधी ने मोदी विरोध की माला जपने में और तेज़ी लाकर मोदी का कद इतना बढ़ा दिया कि, वो चुनाव दर चुनाव जीत रहे हैं. अपना संगठन दुरुस्त नहीं हो रहा, बदलाव अटका पड़ा है, ऐसे में सिर्फ मोदी विरोध करके कुछ नसीब नहीं होने वाला.'
सूत्रों के मुताबिक यूपी में हार के बाद राज्य कांग्रेस के एक बड़े नेता ने राहुल से दो टूक कहा, 'एंटोनी कमेटी ने 2014 के हार के कारणों की समीक्षा रिपोर्ट में कहा था कि, एंटी हिंदू छवि और मुस्लिम तुष्टीकरण का चस्पा पार्टी को ले डूबा. अब पार्टी को बहुसंख्यकों की राजनीति करनी चाहिए, लेकिन न पार्टी का आलाकमान इस पर गंभीर है और न ही निचले स्तर पर संगठन इस पर ध्यान दे रहा है. इसके उलट मुस्लिम वोटों को साधने के चक्कर में यूपी में गठजोड़ कर लिया जाता है, इससे राहुल का मंदिरों में जाना महज औपचारिकता बन कर रह जाता है, उसका इम्पैक्ट नहीं पड़ता.'
ये वो बयान हैं, जो हवा में तैरा करते थे, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि, कांग्रेस नेता खुलकर राहुल गांधी से ये बातें बोलने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो अब राहुल भी इस बारे में गंभीरता से सोच विचार कर रहे हैं. राहुल की मुश्किल यह है कि, यूपी में सपा से गठजोड़ पर तोहमत उनके माथे आ रही है, लेकिन सूत्रों की मानें तो राहुल यूपी में सपा के साथ तालमेल के हक़ में नहीं थे. वह अकेले लड़ने या फिर बसपा के तालमेल के हक़ में थे.
चुनाव के दौरान बसपा पर सॉफ्ट रहकर उन्होंने इसका इशारा भी दिया, लेकिन बसपा की न के बाद यूपी कांग्रेस के नेताओं, विधायकों के साथ रणनीतिकार पीके यानी प्रशांत किशोर ने अकेले लड़ने की बजाय अखिलेश की छवि और मुस्लिम वोटों के चलते सपा से तालमेल करने पर दबाव डाला, जिसके बाद राहुल राज़ी हो गए.
राहुल की रणनीति में तीन बदलाव
सूत्रों की मानें तो राहुल अब अपनी रणनीति में तीन बड़े बदलाव करने जा रहे हैं, जिसकी चर्चा वो कांग्रेस के सांसदों के सामने भी कर चुके हैं-
2. जल्दी ही संगठन में बदलाव करके उसको दुरुस्त किया जाए और अपनी बात मज़बूती से नीचे तक पहुंचाई जाए.
3. किसी एक धर्म की नहीं बल्कि सभी धर्मों की पार्टी नज़र आना कांग्रेस की मूल नीति रही है, वही छवि जनता के बीच रहनी चाहिए.