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यूपी: मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया का कहर, मच्छरों पर नहीं हो रहा दवाओं का असर

बरसात आते ही जहां मच्छरों की तादाद मे बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने लगती है, वहीं मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियां भी तेजी से फैलने लगती है. मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां सबसे ज्यादा फैलती है.

मलेरिया का प्रकोप मलेरिया का प्रकोप
अनूप श्रीवास्तव/अमित रायकवार
  • लखनऊ,
  • 06 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:43 PM IST

बरसात आते ही जहां मच्छरों की तादाद मे बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने लगती है, वहीं मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियां भी तेजी से फैलने लगती है. मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां सबसे ज्यादा फैलती है.

श्रीलंका ने मलेरिया पर पूरी तहर से किया काबू
देश की राजधानी दिल्ली की तरह यूपी की राजधानी लखनऊ और इसके आसपास इलाकों मे भी डेंगू और मलेरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. लखनऊ में अबतक डेंगू के तीन सौ से ज्यादा मरीज अस्पतालों मे भर्ती हो चुके हैं और डेंगू से मरने वाले लोगों की संख्या भी बढ़कर पांच हो गई है. इसी तरह मलेरिया के रोगी भी तेजी से बढ़ रहें हैं और अबतक पचास से ज्यादा मलेरिया के मरीज सामने आ चुकें हैं, और ये संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अकेले लखनऊ में 36 मच्छर मारने वाली मशीने अभियान में लगी हैं. इसके अलावा मच्छरों के आसानी से पनपने वाली जगहों पर दवाई का छिड़काव भी जारी है, लेकिन बावजूद इन इंतजामों के मच्छर भागने का नाम नहीं ले रहे हैं, और लोगों को लगातार बीमार करते जा रहे हैं.

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भारत में इसकी डेडलाइन 2030 है
भारत के आसपास दूसरे देश जैसे श्रीलंका में मलेरिया जैसी बीमारी पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है, मगर भारत में इसकी डेडलाइन सन दो हजार तीस रखी गई है, क्योंकि भारत सरकार का मलेरिया उन्मूलन अभियान अपने मकसद मे अबतक नाकामयाब रहा है. लखनऊ में मलेरिया उन्मूलन का काम देख रहे अधिकारियों का कहना है कि मच्छरों को मिटाने के लिए जिन दवाओं का छिड़काव किया गया. वो धीरे- धीरे मच्छरों पर अपना असर खोने लगी क्योंकि मच्छरों मे जेनिटिक बदलाव आते गए, इसलिए मलेरिया को अबतक खत्म नही किया जा सका है. राज्य सरकार के मंत्री का भी कहना है कि मलेरिया के रोकथाम के लिए पूरे प्रयास किया जा रहे हैं.

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