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एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में डॉक्टरों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. मरीजों को हाइपर टेंशन और बीपी से निजात दिलाने वाले डॉक्टर्स खुद इसके शिकार बनते जा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार देश के 50 फीसदी डॉक्टरों को हाइपरटेंशन की बीमारी है. 56% डॉक्टर को BP और 21 फीसदी को मास्क्ड हाइपरटेंशन है.
यह अध्ययन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने किया है. अध्ययन के नतीजों में यह बात सामने आई है कि हर 3 में 1 भारतीय युवा को हाइपरटेंशन की बीमारी है और यह मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोगों के बीच भी उसी तेजी से फैल रहा है.
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रिपोर्ट के अनुसार 56 फीसदी डॉक्टरों का रात में BP अनियमित रहता है और 21 प्रतिशत मास्क्ड हाइपरटेंशन के साथ जीते हैं.
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मास्क्ड हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ब्लड प्रेशर की रीडिंग्स विशिष्ट वातावरण के कारण गलत नजर आती हैं.
मास्क्ड हाइपरटेंशन को निरंतर उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी विकार के दीर्घकालिक जोखिम से भी जोड़कर देखा जाता है.
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IMA के अध्ययन के के अग्रवाल ने बताया कि 50 फीसदी से ज्यादा डॉक्टर्स को अनियंत्रित हाइपरटेंशन है और इसके लिए वो निरंतर दवाएं लेते हैं. जबकि 21 फीसदी को मास्क्ड हाइपर टेंशन या isolated ambulatory hypertension के साथ पाया गया. वहीं 56% डॉक्टरों को रात में बीपी की समस्या रहती है, जिसकी वजह से उनमें कार्डिएक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
आईएमए ने यह रिपोर्ट 533 डॉक्टरों के 20,000 रीडिंग्स को ध्यान में रखते हुए बनाया है.