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मकर संक्रांति शायद देश का ऐसा अकेला त्योहार है जो हर साल एक ही तारीख पर मनाया जाता है. फसलों की कटाई से जुड़े इस उत्सव की थीम भले एक हो लेकिन देश में इसे अलग-अलग नामों और तरीकों से जाना व मनाया जाता है.
जानें 7 ऐसी ही जगहों के बारे में जहां मकर संक्रांति के मौके पर आप भारत की विविध संस्कृति की झलक को देख सकेंगे -
उत्तर प्रदेश
इस राज्य में इसे खिचड़ी कहते हैं. मकर संक्रांति के साथ ही इलाहाबाद में विश्व प्रसिद्ध माघ मेला शुरू हो जाता है जो महाशिवरात्रि तक चलता है. इस
दौरान डुबकी लगाने का भी प्रचलन है. कुल मिलाकर ये माहौल आस्था और रोमांच से भर देता है.
पंजाब
पंजाब में मकर संक्रांति को लोहाड़ी या माघी के रूप में मनाया जाता है. यह सर्दियों के जाने और फसलों की कटाई का सूचक है. इस दौरान ढोल और पंजाबी
बोलियां खूब सुनाई देती हैं.
गुजरात
गुजरात में इस त्योहार को उत्तरायण कहते हैं और पारंपरिक पूजा व मिष्ठान के साथ यहां धूम रहती है पतंगबाजी की. अगर पतंगबाजी का शौक रखते हैं
तो यहां नजर आने वाली पतंगों को देखकर हैरान रह जाएंगे.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में गंगा सागर एक अहम तीर्थ स्थल है और मकर संक्रांति के मौके पर यहां दूर के अन्य राज्यों से भी लोग डुबकी लगाने आते हैं. आस्था के
इस मेले का हिस्सा बनने जब आप आएं तो बंगाल की मिठाइयों का स्वाद चखना न भूलें.
तमिलनाडु
इस राज्य में मकर संक्रांति को पोंगल के तौर पर मनाया जाता है जो चार दिन चलने वाला उत्सव होता है. पहले दिन सूर्य देव व धरती मां की पूजा होती
है. दूसरे दिन यानी पेरम पोंगल पर भी सूर्य देव को पूजा जाता है. इसे फसलों की कटाई से भी जोड़ा जाता है. तीसरे दिन पशु पूजा होती है. चौथे दिन
महिलाएं घर में भाइयों की संपन्नता के लिए पूजा करती हैं.
कर्नाटक
कर्नाटक में भी मकर संक्रांति को भव्य तरीके से मनाया जाता है. उडुपी में इस मौके पर तीन रथ उत्सव का आयोजन होता है और मंदिरों के साथ शहर की सजावट भी देखने वाली होती है . वहीं श्रीरंगपटना में लक्षदीपोत्सव होता है. इस दौरान मंदिर में एक हजार दिये जलाने की प्रथा है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मकर संक्रांति के मौके पर कर्नाटक के ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग अपने पाप दूर करने के लिए गर्म कोयलों पर चलते हैं.
असम
इस दौरान यहां माघ बीहू मनाया जाता है. अन्य राज्यों की तरह यहां भी यह त्योहार फसल की कटाई से जुड़ा है. इस दौरान यहां के लोग एक हफ्ते का उपवास
रखते हैं और मेलों में जानवरों की लड़ाई के अलावा कई तरह के आयोजन रखे जाते हैं.