Advertisement

वायु प्रदूषण बच्चों की सेहत के लिए बन रहा है जानलेवा

वायु प्रदूषण का स्तर हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है. इससे लोगों की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. लेकिन वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंच रहा है.

वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

दुनियाभर में 18 साल से कम उम्र के लगभग 93 फीसदी बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की वायु प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य पर जारी एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

'वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य, स्वच्छ वायु निर्धारित करना' नाम से जारी इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2016 में वायु प्रदूषण से होने वाले श्वसन संबंधी बीमारियों की वजह से दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के करीबन 5.4 लाख बच्चों की मौत हुई थी.

Advertisement

नई रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल से कम उम्र के 10 बच्चों की मौत में से एक बच्चे की मौत प्रदूषित हवा की वजह से हो रही है. डब्लूएचओ की इस रिपोर्ट पर ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि डब्लूएचओ के डाटा ने एकबार फिर से साबित किया है कि गरीब और मध्यम आय वर्ग के लोग देश में बाहरी और घरेलू दोनों तरह के वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है. यह चिंताजनक है कि भारत जैसे देश में लगभग पूरी जनसंख्या डब्लूएचओ और राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है.

ग्रीनपीस इंडिया के वायु प्रदूषण कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, 'ग्रीनपीस ने वैश्विक स्तर पर सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण को प्रकाशित किया है. इस विश्लेषण में बताया गया है कि कोयला और परिवहन उत्सर्जन के दो प्रमुख स्रोत हैं.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा, 'इस साल एक जून से 31 अगस्त तक सबसे ज्यादा नाइट्रोजन डायऑक्साइड वाला क्षेत्र दक्षिण अफ्रिका, जर्मनी, भारत और चीन के वे क्षेत्र हैं, जो कोयला आधारित पावर प्लांट के लिए जाने जाते हैं. परिवहन संबंधी उत्सर्जन की वजह से सैंटियागो डि चिली, लंदन, दुबई और तेहरान जैसे शहर भी एनओ2 हॉटस्पोट वाले 50 शहरों की सूची में शामिल हैं.'

भारत में दिल्ली-एनसीआर, सोनभद्र-सिंगरौली, कोरबा और ओडिशा का तेलचर क्षेत्र इन 50 शहरों की सूची में शामिल है. यह तथ्य साफ-साफ बता रहे हैं कि ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन जलने का वायु प्रदूषण से सीधा-सीधा संबंध है.

ग्रीनपीस कैंपेनर लॉरी मिल्लिवर्ता के अनुसार, 'जैसा कि हम अपनी रोज की जिंदगी में वायु प्रदूषण से नहीं बच सकते, उसी तरह वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार प्रदूषक भी छिपे नहीं हैं. यह नया उपग्रह आकाश में हमारी आंख की तरह है, जिससे कोयला जलाने वाले उद्योग और परिवहन क्षेत्र में तेल उद्योग जैसे प्रदूषक बच नहीं सकते. अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन पर कार्रवाई करे और कठोर नीतियों व तकनीक को अपनाकर हवा को साफ करे और लोगों की जिंदगी बचाए.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement