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बच्चे की सेहत ही नहीं, देश की इकोनॉमी के लिए भी खतरा है मां का दूध न पिलाना

अगर आपको यह लगता है कि मां का दूध सिर्फ बच्चे की सेहत के लिए जरूरी है तो आप गलत हैं. मां के दूध से हमारे देश की अर्थव्यवस्था की सेहत भी जुड़ी हुई है. जानिये कैसे...

प्रतिकात्मक फोटो प्रतिकात्मक फोटो
वंदना भारती/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

अगर आपको यह लगता है कि मां का दूध सिर्फ बच्चे की सेहत के लिए जरूरी है तो आप गलत हैं. मां के दूध से हमारे देश की अर्थव्यवस्था की सेहत भी जुड़ी हुई है.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल लगभग एक लाख बच्चे ऐसी बीमारियों से मरते हैं, जिन्हें स्तनपान के जरिए रोका जा सकता था.

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इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपर्याप्त स्तनपान के कारण होने वाली मौतों और अन्य नुकसानों से देश की अर्थव्यवस्था को 14 अरब डॉलर तक का नुकसान पहुंच सकता है. यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग कलेक्टिव के साथ मिलकर एक नई रिपोर्ट ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग स्कोरकार्ड जारी की है.

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इसमें कहा गया है कि स्तनपान से न सिर्फ डायरिया और निमोनिया से बचने में मदद मिलती है, बल्कि मांओं के लिए गर्भाशय के कैंसर और स्तन कैंसर के खतरे भी कम हो जाते हैं. चीन, भारत, नाइजीरिया, मैक्सिको और इंडोनेशिया में अपर्याप्त स्तनपान के कारण हर साल 2.36 लाख बच्चों की मौत हो जाती है.

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इन देशों में अपर्याप्त स्तनपान के कारण होने वाली मौतों और अन्य नुकसानों की वजह से अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष पहुंचने वाला नुकसान लगभग 119 अरब डॉलर का है.

 

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