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साहित्य आजतक: जावेद अख्तर और चेतन भगत से गुलजार होगा तीसरा दिन

'साहित्य आजतक' का आयोजन दिल्ली के इंडिया गेट स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 16, 17 और 18 नवंबर को होगा. यह महाकुंभ इस बार सौ के करीब सत्रों में बंटा है, जिसमें 200 से भी अधिक विद्वान, कवि, लेखक, संगीतकार, अभिनेता, प्रकाशक, कलाकार, व्यंग्यकार और समीक्षक हिस्सा ले रहे हैं. तीसरे दिन का आयोजन के आकर्षण होंगे जावेद अख्तर और चेतन भगत.

जावेद अख्तर (तस्वीर- PTI) जावेद अख्तर (तस्वीर- PTI)
सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

'साहित्य आजतक' के चलते राजधानी वासियों के लिए नवंबर का तीसरा रविवार बेहद खास होने वाला है. राजधानी में सजने वाले ‘साहित्य के महाकुंभ’ का यह तीसरा दिन है. इस दिन की शुरुआत हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता अन्नू कपूर के कार्यक्रम से होगी. इसी दिन 'सिनेमा और महिलाएं' सत्र में दर्शक अनुभव सिन्हा और वाणी त्रिपाठी के साथ ऋचा चड्ढा से भी रूबरू होंगे.

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साहित्य आजतक में शामिल हो रहे अनुभव सिन्हा ने 'तुम बिन', 'गुलाब गैंग' 'रा. वन' और 'मुल्क' जैसी फिल्मों से खासी शोहरत हासिल की है, तो वाणी त्रिपाठी थिएटर, ऐक्टिंग, मॉडलिंग के अलावा भाजपा की तेजतर्रार नेत्री के तौर पर टीवी का  जाना पहचाना चेहरा रही हैं. 'ओए लक्की! लक्की ओए' से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली ऋचा चड्ढा 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', ‘फुकरे’, 'मसान' जैसी फिल्मों में अपनी ऐक्टिंग के लिए जानी जाती हैं.

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‘मेरी अपनी जबान’ सत्र में दर्शक अवधी और भोजपुरी को लेकर काम कर रहे दो जुझारू वक्ताओं, लेखकों- अमरेंद्र त्रिपाठी और मुन्ना पाण्डेय से रू- ब- रू हो सकेंगे, तो राजभाषा हिंदी की वर्तमान दशा को उजागर करने वाले सत्र ‘हिंदी-विंदी’ में प्रख्यात पत्रकार राहुल देव और आलोचक अनंत विजय के विचारों को सुना जा सकेगा. ये हिंदी का स्वरूप कैसा हो, उसकी लिपि कैसी हो, वह लिखने, बोलने में हिंगलिश हो या हिंदवी इस पर अपनी बातें रखेंगे.

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मशहूर लेखक चेतन भगत भी होंगे शामिल

साहित्य आजतक के इस तीसरे और आखिरी दिन दर्शक  'हाफ गर्लफ्रेंड', '2 स्टेट्स', '3 इडियट्स', 'काई पो चे', 'किक', 'हैलो' जैसी फिल्मों से जुड़े रहे मशहूर लेखक चेतन भगत से भी मिल सकेंगे. चेतन भगत 'फाइव प्वाइंट समवन', 'वन नाइट एट द कॉल सेंटर', 'द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ', 'रिवॉल्यूशन 2020' जैसी किताबों के लिए मशहूर हैं और युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं. इसी दिन ‘संगीत और कविता’ सत्र में गायिका चिन्मयी त्रिपाठी को सुना जा सकेगा, तो ‘आज की कविता’ सत्र में कविता के क्षेत्र से जुड़ी बेहद चर्चित हस्तियां गगन गिल, आलोक धन्वा और देवी प्रसाद मिश्र अपनी बात रखेंगे, कुछ आपकी सुनेंगे, कुछ अपनी कविताएं सुनाएंगे.

‘हिंदी मांगे मोर’ सत्र में दर्शक दो बड़े प्रकाशकों अलिंद माहेश्वरी और मीरा जोहरी के विचार सुनेंगे, और जान सकेंगे कि किसी को वे क्यों छापते हैं और कैसे छापते हैं. रचनाओं के चयन का उनका आधार क्या है. ‘लोक संगीत और साहित्य’ सत्र लेखिका उषाकिरण खान और लीलाधर जगुड़ी के नाम होगा. साहित्य के क्षेत्र के ये दिग्गज कवि और कथाकार अपने अनुभवों और विचारों को शेयर करेंगे.

‘कहानी क्राइम की’ नाम का एक अनूठा सत्र हिंदी में थ्रिलर उपन्यासों के बादशाह सुरेंद्र मोहन पाठक के नाम है. जहां दर्शक पाठक से उनके पात्रों, कथानक, थ्रिल, सस्पेंस और लेखन से जुड़े अनुभवों के बारे में जान सकेंगे. इस दिन ‘कहानी ऑन डिमांड’ सत्र में प्रत्यक्षा सिन्हा, पंकज सुबीर और 'छबीला रंगबाज़ का शहर' से चर्चित हुए प्रवीण कुमार अपने प्रशंसकों सेअच्छी कहानियां लिखने का टिप्स शेयर करेंगे.  ‘एक थीं इंदिरा’सत्र में इंदिरा गांधी पर काफी काम कर चुके और कई किताबें लिख चुके सियासतबाज लेखक जयराम रमेश देश की एकलौती महिला प्रधानमंत्री के बारे में अपने विचार रखेंगे.

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'हिंदी में क्या बिकता है' सत्र में हिंदी के बड़े प्रकाशक और लेखक बताएंगे कि हिंदी में छपने, बिकने और चर्चित होने की गणित क्या है.  इस सत्र में शामिल लेखकों, प्रकाशकों में अदिति माहेश्वरी, पीयूष कुमार और भगवंत शामिल हैं. 'आदि शंकराचार्य और हिंदुत्व' सत्र प्रख्यात लेखक पवन कुमार वर्मा के नाम है. विदेशों में राजदूत रहे पवन कुमार वर्मा भारतीय पौराणिक कैरेक्टरों पर काफी काम कर चुके हैं और ‘आदि शंकराचार्य’ पर लिखी उनकी किताब इनदिनों बाजार में है और चर्चा के केंद्र में है.

साहित्य आजतक का यह दिन केवल साहित्य, किताबों, संगीत और महिलाओं के मसलों पर ही नहीं देशभक्ति के रंग में भी रंगा होगा. राष्ट्रभक्ति के इस स्वर को 'रंग दे बसंती चोला' सत्र में अपनी आवाज देंगे चर्चित लेखक सुधीर विद्यार्थी और प्रोफेसर चमन लाल.

'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' सत्र यात्रा-संस्मरणों के बड़े घुमक्कड़ों के नाम है. इस सत्र में होंगे संदीप भुतोड़िया, अजय सोडानी और गरिमा श्रीवास्तव. इन तीनों ने अपने-अपने बेहद उम्दा यात्रा-वृतांत लिखे हैं, जिनमें विदेशी जीवन संस्कृति से लेकर हिमालय का प्राकृतिक सौंदर्य भी झलकता है.

'ये जवानी है दीवानी' सत्र गौरव सोलंकी, निखिल सचान और अकबर आजम के नाम है. इन युवाओं ने अपने लेखन और निर्देशन से कला, साहित्य औअर सिनेमा के क्षेत्र में बड़ी छाप छोड़ी है. इसी दिन  'एक बड़ी सी लघु कथा' में सुकेश साहनी और गिरीन्द्र नाथ झा के अनुभव को सुना जा सकेगा.

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अमीश त्रिपाठी, जावेद अख्तर भी होंगे शामिल

साहित्य के सर्वाधिक स्थापित नामों में से एक कवि अशोक वाजपेयी जहां ‘साहित्य के अशोक’ सत्र में होंगे, तो अंग्रेजी में पौराणिक पात्रों पर लिखी अपनी किताबों से धूम मचा चुके अमीश त्रिपाठी को ‘साहित्य का धर्म क्षेत्र’ में सुना जा सकेगा.  इसी दिन ‘साहित्य और हम’ सत्र में एक और दिग्गज जावेद अख्तर से रूबरू हुआ जा सकेगा. ’एक सत्र ‘लोकतंत्र के सितारे’ नाम भी होगा, जिसमें राजदीप सरदेसाई के साथ गुफ्तगू करेंगे दिग्गज क्रिकेटर बिसन सिंह बेदी और मदनलाल.

फिल्मी चाशनी और सुरसंगीत, गीत, कविता और मुशायरा के लिहाज से भी यह दिन बेहद खास होगा. इस दिन 'कुछ इश्क किया कुछ काम किया' सत्र में अभिनेता कलाकार पीयूष मिश्रा अपनी किस्सागोई से दर्शकों को भिंगोएंगे तो ‘आज की कविता' में हमारे दौर की मशहूर कवयित्री गगन गिल, आलोक धन्वा और देवी प्रसाद मिश्रा को सुना जा सकेगा. इसी तरह ‘डेंजर दलित’ सत्र में पंजाबी और सूफी गायिकी की बिंदास सेंसेशन गिन्नी माही अपनी सुर लहरियां छेड़ेंगी.

इस दिन के काव्यात्मक, शायराना और संगीत भरे कार्यक्रमों में ‘एक नायाब शायर’ में मुलाकात होगी मशहूर शायर वसीम बरेलवी से,  तो ‘एक नाराज शायर’ में डॉ राहत इंदौरी  को सुना जा सकेगा. सूफी गायन में हरप्रीत की गायिकी का आकर्षण होगा, तो सुरीली बिटिया कार्यक्रम में बिहार की बेटी के रूप में अपनी गायिकी का लोहा मनवा चुकी मैथिली ठाकुर का जलवा होगा.

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इसी दिन तिवारी की तान में भोजपुरी अभिनेता और गायक मनोज तिवारी ‘तिवारी की उड़ान’ में अपनी तान छेड़ेंगे, तो इस दिन मुशायरा भी होगा, जिस में वसीम बरेलवी, मंजर भोपाली, आलोक श्रीवास्तव, शीन काफ निजाम, डॉ नवाज देवबंदी, डॉ लियाकत जाफरी, तनवीर गाजी के साथ डॉ राहत इंदौरी की शायरी सुनी जा सकेगी, तो कवि सम्मेलन में हुसैन हैदरी, रमणीक सिंह, पुनीत शर्मा और पंकज शर्मा अपनी-अपनी कविताएं सुनाएंगे.

दिन भर बौद्धिक बहस से दोचार हुए दर्शकों की शाम उस्ताद राशिद खान के संगीत में डूबी होगी. पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उस्ताद ने एक से बढ़ कर एक गीत गाए हैं. आज की पीढ़ी भले ही उस्ताद को 'जब वी मेट' के गीत 'आओगे जब तुम ओ साजना...' से याद करना चाहती हो, पर सच तो यही है कि उस्ताद राग भूपाली पर बंदिशें, मध्यलय में 'गुरु बिन... भजन, राग सरस्वती में 'मोरे मन भाए...' ठुमरी में 'याद पिया की आए...' से श्रोताओं के एक अलग दुनिया में ले जाने का माद्दा रखते हैं.

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