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धर्म

2020 में किन 3 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती? संकट टालने के उपाय भी जानें

aajtak.in
  • 02 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST
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2020 शुरू होने में अब 20 दिन से भी कम वक्त रह गया है. हर कोई नए साल के साथ बेहतर जिंदगी की शुरुआत करना चाहता है. लेकिन ज्योतिष विद्या की मानें तो हर व्यक्ति के लिए ऐसा होना संभव नहीं है. 2020 में कई राशियां शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित होंगी.

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सभी ग्रहों में शनि के गोचर की अवधि सबसे अधिक होती है, क्योंकि यह ग्रह लगभग ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करता है. इसलिए शनि के गोचर का मानव जीवन पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. आइए जानते हैं किन राशियों पर 2020 में शनि की टेढ़ी नजर पड़ने वाली है.

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2020 में कैसी होगी शनि की चाल-
शनि 24 जनवरी को धनु राशि से स्वराशि मकर में गोचर करेगा. इस वर्ष शनि 11 मई से 29 सितंबर तक मकर राशि में वक्री रहने वाला है. धनु और मकर राशि में पहले से चल रही शनि की साढ़ेसाती के बाद अब कुंभ राशि पर भी साढ़ेसाती आ जाएगी. आइए जानते हैं 2020 में किन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का खतरा मंडराएगा.

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मेष-
इस राशि के जातकों को 2020 में शनि से घबराने की जरूरत नहीं है. इस राशि पर शनिक की साढ़ेसाती का प्रभाव नहीं रहेगा.

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वृषभ-
वृषभ राशि के जातकों को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. साल 2020 में शनि की साढ़ेसाती आपके सिर पर नहीं मंडराएगी.

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मिथुन-
मिथुन राशि भी शनि के प्रभाव से मुक्त रहने वाले हैं. इस वर्ष इनकी कुंडली में भी शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप नहीं है.

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कर्क-
वर्ष 2020 में कर्क राशि के जातकों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव नहीं रहेगा.

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सिंह-
सिंह राशि वालों को भी साल 2020 में शनि परेशान नहीं करने वाला है.

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कन्या-
वर्ष 2020 में कन्या राशि के लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का असर नहीं होगा. शनि की दृष्टि से इस राशि के जातकों के लिए भी सब सही रहेगा.

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तुला-
तुला राशि के लोगों पर भी शनि की टेढ़ी नजर नहीं पड़ेगी. यानी इन पर भी शनि का संकट नहीं रहेगा.

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वृश्चिक-
साल 2020 में वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में भी शनि की साढ़ेसाती नहीं है.

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धनु-
धनु राशि के लोगों को 2020 में सावधान रहने की जरूरत है. अगले वर्ष धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. साढ़ेसाती इस राशि के अंतिम चरण में है.

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मकर-
अगले वर्ष शनि का गोचर मकर राशि में ही हो रहा है. साल 2020 में इस राशि में शनि की साढ़ेसाती दूसरे चरण में रहेगी.

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कुंभ-
कुंभ राशि के लिए भी अगला साल चिंताजनक हो सकता है. 2020 आपकी साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरू हो रहा है. अगले 5 वर्षों तक यह आपकी कुंडली में रहने वाला है, इसलिए आपको फूंक-फूंककर कदम रखने की जरूरत है.

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मीन-
मीन राशि के लोगों को भी घबराने या चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. इस वर्ष मीन राशि के जातकों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती नहीं है.

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शनि की साढ़ेसाती क्या है?-
साढ़ेसाती का अर्थ है– साढ़े सात साल यानी जन्म चंद्र से एक भाव पहले चंद्र राशि व चंद्र राशि से एक भाव आगे तक के शनि के भ्रमण में पूरे साढ़े सात साल का समय लगता है क्योंकि शनि एक राशि में ढाई साल तक रहता है.

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साढ़ेसाती में जातक को कई बार मानसिक अवसाद व शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. हालांकि शनि की साढ़ेसाती का असर हमेशा बुरा ही नहीं रहता.

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शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति को कैसे फल प्रदान करेगी यह व्यक्ति की जन्म कुंडली के योग पर निर्भर करता है. जन्म कुंडली के योग के साथ दशा/अंतर्दशा किस ग्रह की चल रही है और दशानाथ कुंडली के किन भावों से संबंध बना रहा है आदि बहुत सी बातें शनि की साढ़ेसाती के दौरान अहम होती हैं.

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इसके अलावा जन्म कुंडली में शनि महाराज स्वयं किस हालत में हैं. शनि कुंडली के लिए शुभफलदायक हैं या अशुभ फल देने वाले हैं और शनि किन योगों में शामिल हैं, पीड़ित है या नहीं है आदि बातें शनि के लिए देखी जाती हैं.

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इनके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जिनका विश्लेषण करने के बाद ही शनि की साढ़ेसाती के परिणाम सुनिश्चित किए जाते हैं.

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साढ़ेसाती के क्या हैं उपाय?-
शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान जीवन में काफी बदलाव आते हैं. यह बदलाव अच्छा होगा या बुरा होगा ये आपकी जन्म कुंडली तय करेगी क्योंकि अच्छी दशा के साथ शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती बुरी साबित नहीं होती है.

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यदि अशुभ भाव या अशुभ ग्रह की दशा चल रही है तब काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. परेशानियों से बचने के लिए शनि महाराज को प्रसन्न रखना जरूरी है.

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शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव से बचने के लिए शनि का दान, मंत्र जाप, पूजन आदि करने से काफी राहत मिलती हैं.

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शास्त्रों में शनि की औषधि स्नान आदि के बारे में भी बताया गया है. शनि को शांत रखने के लिए शनि के बीज मंत्र की कम से कम तीन मालाएं अवश्य करनी चाहिए और मंत्र जाप से पूर्व संकल्प करना जरुरी है.

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बीज मंत्र के बाद शनि स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक माना जाता है. इस दौरान यदि आप बीज मंत्र – “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:” मंत्र का जाप करें तो फायदा होगा.

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शनि की साढ़ेसाती के अशुभ फलों को शांत करने के लिए बीज मंत्र के अलावा वैदिक मंत्र के 23 हजार जाप करने चाहिए. जाप पूरे होने पर दशांश हवन करना चाहिए.

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शनि का वैदिक मंत्र  “ऊँ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शं योरभिस्रवन्तु न:।। शं नम:।।” है.

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