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देश में खेल संघ 27, लेकिन सिर्फ 1 की कमान पूर्व खिलाड़ी के हाथ!

बीते सप्ताह ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में संपन्न हुए 31वें ओलंपिक खेलों की मैराथन दौड़ में हिस्सा लेने वाली भारतीय धाविका ओपी जैशा ने रियो से लौटने के बाद बताया कि वह मैराथन दौड़ पूरी करने के बाद बेहोश हो कर गिर पड़ी और उनकी मौत भी हो सकती थी, क्योंकि किसी भी भारतीय अधिकारी ने रेस के दौरान उन्हें पानी तक मुहैया नहीं करवाया.

27 खेल संघ में से एक की कमान खिलाड़ी के हाथ 27 खेल संघ में से एक की कमान खिलाड़ी के हाथ
सबा नाज़/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST

बीते सप्ताह ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में संपन्न हुए 31वें ओलंपिक खेलों की मैराथन दौड़ में हिस्सा लेने वाली भारतीय धाविका ओपी जैशा ने रियो से लौटने के बाद बताया कि वह मैराथन दौड़ पूरी करने के बाद बेहोश हो कर गिर पड़ी और उनकी मौत भी हो सकती थी, क्योंकि किसी भी भारतीय अधिकारी ने रेस के दौरान उन्हें पानी तक मुहैया नहीं करवाया.

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जैशा का यह बयान देश में खेल संघों द्वारा बुनियादी जरूरतों की अवहेलना की एक और कहानी बयां करता है. खेल संघों में प्रशासनिक कमान खिलाड़ियों की बजाय राजनीतिकों के हाथों में होने को लेकर पहले भी काफी लिखा जा चुका है. लेकिन इस संबंध में बिल्कुल सही-सही आंकड़े इस प्रकार हैं.

1. देश में सिर्फ एक ही खेल संघ (भारतीय एथलेटिक्स महासंघ) ऐसा है जिसकी कमान किसी पूर्व खिलाड़ी के हाथ में है.

2. सिर्फ खेल संघों के शासी निकाय में पूर्व या मौजूदा खिलाड़ी शामिल हैं.

3. 12 खेल संघ तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के कार्यकाल के बारे में जानकारी तक सार्वजनिक नहीं की है.

4. सिर्फ दो खेल संघों के पास भविष्य की कार्ययोजना के संबंध में कोई रूपरेखा तैयार है.

5. विभिन्न खेल संघों के शासी निकाय में महिलाओं की भागीदारी दो से आठ फीसदी तक सीमित है. 34 फीसदी महिला भागीदारी के साथ सिर्फ हॉकी इंडिया (एचआई) इस मामले में अपवाद है.

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अनुसंधान करने वाली संस्था 'इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज' द्वारा 'गवर्नेंस ऑफ स्पोर्ट्स इन इंडिया: 2016' शीर्षक से जारी की रिपोर्ट में यह आंकड़े दिए गए हैं. इनगवर्न ने भारतीय ओलंपिक समिति (आईओए) सहित 27 खेल संघों द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारियों और आंकड़ों का विश्लेषण कर यह रिपोर्ट तैयार की है.

गौरतलब है कि देश के 38 खेल संघ आईओए के सदस्य हैं. इन 38 राष्ट्रीय खेल संघों में से 26 खेल संघों द्वारा नियमित खेल रियो ओलंपिक में खेले गए. रिपोर्ट के अहम बिंदुओं को पांच मुख्य वर्गों में देखा जा सकता है.

1. खेल संघों का संविधान और उनके सम्मेलन
नौ खेल संघों ने अपने उद्देश्यों को सार्वजनिक नहीं किया है. 10 खेल संघों ने अपना संविधान सार्वजनिक पटल पर नहीं रखा है. 10 खेल संघों ने अपनी विधिक गतिविधियां सार्वजनिक नहीं की है, जिसमें अध्यक्ष, सदस्यों एवं अन्य अधिकारियों की भूमिका और उत्तरदायित्व शामिल हैं.

2. खेल संघों का ढांचा
सिर्फ एक खेल संघ के अध्यक्ष खेल पृष्ठभूमि से आते हैं. आठ खेल संघों के शासी निकाय में कोई महिला सदस्य शामिल नहीं हैं. इनमें चार राष्ट्रीय खेल संघ भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने शासी निकाय के संबंध में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. सिर्फ नौ खेल संघों के शासी निकाय में पूर्व या मौजूदा खिलाड़ी शामिल हैं.

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3. शासी निकाय (गवर्निग बॉडी)
11 खेल संघों ने शासी निकाय के सदस्यों के कार्यकाल, कार्यकाल की सीमा और उनमें चक्रण प्रणाली की कोई जानकारी नहीं दी. 12 खेल संघों ने अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी. शेष 15 खेल संघों में से सिर्फ छह खेल संघों ने अपने अध्यक्ष के कार्यकाल की सीमा तय कर रखी है.

4. वित्तीय एवं रणनीतिक जानकारियों को सार्वजनिक करना
सिर्फ दो खेल संघों, अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) और भारतीय गोल्फ संघ (आईजीयू) ने भविष्य के लिए अपनी रणनीति तैयार की हैं. 16 खेल संघों ने वित्तीय जानकारियां सार्वजनिक की हैं वह भी नियमित तौर पर. सिर्फ फुटबाल महासंघ ने अपनी वित्तीय ब्यौरों का लेखा परीक्षण मान्यता प्राप्त लेखा परीक्षक से करवाया है. सिर्फ भारतीय टेबल टेनिस महासंघ ने अपने अहम अधिकारियों को दिए जाने वाले वेतन का खुलासा किया है.

5. हितों के टकराव का प्रबंधन
सिर्फ हॉकी इंडिया ने हितों के टकराव को रोकने के लिए नीति लागू की है. किसी भी खेल संघ ने हितों के टकराव के किसी मामले का खुलासा नहीं किया और न ही अपने अध्यक्ष और सदस्यों के साथ हुए लेन-देन का खुलासा किया.

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