
पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजे जाएंगे. डुंगडुंग को 29 अगस्त को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पांच लाख रुपये और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित करेंगे. झारखंड के दूर-दराज और सुविधा विहीन सिमडेगा के गांव में रहने वाले सिलवानुस डुंगडुंग ने बांस की हॉकी स्टिक बनाकर और सूखे शरीफे के फल को गेंद बना कर अपने खेल की शुरुआत की थी.
इस मुकाम पर पहुंचने पर न केवल डुंगडुंग के घरवाले बल्कि झारखंड के सभी खेल प्रेमियो में खुशी की लहर फैल गई है.
ध्यानचंद के साथ न खेल पाने की कसक
हॉकी के आयरन मैन कहे जाने वाले पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग 1980 मॉस्को ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता भारतीय टीम के सदस्य रह चुके हैं. डुंगडुंग अक्सर इस बात का ज़िक्र करते हैं कि उन्हें 1978 में मेजर ध्यानचंद से हाथ मिलाने और बातचीत करने का अवसर मिला था. लेकिन अफसोस है कि उनके साथ कभी खेला नहीं. एक टूर्नामेंट के दौरान वो मैच देखने जरूर आए थे.
अनुभवी प्रशिक्षकों को ही सेंटर में रखा जाए
सिलवानुस डुंगडुंग की उम्र 70 साल की हो चुकी है, लेकिन अभी भी खिलाड़ी तैयार करने की क्षमता रखते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के मसले पर उनकी राय है कि सरकार ने जो सेंटर खोले हैं, उस पर पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान दें. खेल अधिकारी सेंटर की औचक निगरानी करें और अनुभव वाले प्रशिक्षकों को ही सेंटर में रखा जाए.