
आधार डेटा लीक होने की खबरों के बीच अब UIDAI ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, आधार कार्ड के लिए चेहरे के आधार पर पहचान यानी फेस ऑथेन्टिकेशन के टेक्नोलॉजी की. इस टेक्नोलॉजी से बुजुर्गों जैसे उन लोगों की पहचान आसान होगी, जिनके फिंगर प्रिंट पहचान में दिक्कत है. इस सेवा की शुरुआत 1 जुलाई, 2018 से कर दी जाएगी. लेकिन इसके पहले ही इसकी आलोचना होने लगी है कि इससे भारत में चीन जैसे ऑटोक्रेटिक देशों की तरह सख्त निगरानी लागू हो जाएगी.
क्या हैं आशंकाएं
कई एक्टिविस्ट और पत्रकार इसकी तुलना चीन से करते हुए कह रहे हैं कि यह पूरी तरह से अधिनायकवादी सरकारों का टूल है और इससे लोगों पर सख्त निगरानी करना आसान होगा. चीन सरकार चेहरे के आधार पर ऐसे पहचान का इस्तेमाल लोगों पर निगरानी के लिए करती रही है. यानी अगर सरकार चाहे तो आधार कार्ड के जरिए इससे किसी भी व्यक्ति पर पूरी तरह से निगरानी रखना आसान होगा कि वह कहां जा रहा है, क्या कर रहा है. खबरों के अनुसार चीन ने सड़कों, शॉपिंग मॉल, ट्रांसपोर्ट हब सहित निजी परिसरों के कैमरों को भी देशव्यापी निगरानी और डेटा शेयरिंग प्लेटफॉर्म से जोड़ने की तैयारी कर ली है. इस व्यवस्था के द्वारा चीन सरकार देश के करीब 1.4 अरब लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से निगरानी रख सकती है. आधार के फेस ऑथेन्टिकेशन के बाद भारत में भी ऐसा शुरू होने का लोगों को डर है.
सरकार किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड, ट्रैवल बुकिंग, ऑनलाइन खरीद और सोशल मीडिया कमेंट आदि पर निगरानी तो रख ही सकती है, नई व्यवस्था से सरकार चाहे तो इस पर भी निगरानी रख सकती है कि कोई व्यक्ति कहां आ या जा रहा है. आधार के डेटा लीक होने की खबरों के बीच इस तरह की खबर तमाम एक्टिविस्ट को और डरा रही है.
आलोचक इसे सरकार की एक निगरानी टूल ही बता रहे हैं, लेकिन UIDAI के सीईओ आधार विरोधी एक्टिविस्ट की आशंकाओं को खारिज किया है और इस सफलता की जानकारी ट्वीट कर दी है.
UIDAI सर्कुलर के मुताबिक 'फेस आइडेन्टिफिकेशन' का इस्तेमाल सिर्फ 'फ्यूजन मोड' में ही किया जाएगा और इसके लिए फिंगर प्रिंट स्कैन, आइरिस स्कैन या वन टाइम पासवर्ड के साथ ही एक अतिरक्त फॉर्म भरना होगा. यह पहचान सिर्फ कुछ निश्चित ऑथेन्टिकेशन यूजर एजेंसीज (एयूए) को दी जाएगी.'
सर्कुलर में कहा गया है कि, 'फोटो पहले से ही डेटा बेस में मौजूद है, इसलिए किसी नए रेफरेंस डेटा की जरूरत नहीं होगी.'