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जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर हुए बवाल पर 'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन के जरिए वकीलों की पोल खुलने के बाद सुप्रीम कोर्ट और सरकार ने भी इसे नोटिस में लिया है.
'आज तक' के स्टिंग 'ऑपरेशन पटियाला हाउस' में उन तीन वकीलों के कबूलनामे को दिखाया गया था, जिनकी अगुवाई में पूरे बवाल की बुनियाद रखी गई थी और कन्हैया को पेशी के दौरान पीटा गया था. तीनों वकीलों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने कन्हैया को बुरी तरह पीटा था और इस काम में पुलिस ने भी उनका साथ दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दिया निर्देश
स्टिंग से हुए खुलासे पर केंद्र सरकार ने मामले को मौजूदा बजट सत्र के दौरान संसद में रखने पर सहमति जताई है. इसके साथ ही वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया. जिस पर कोर्ट ने उन्हें एक याचिका दायर करने के लिए कहा है. याचिका दायर होने के बाद कोर्ट 'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन को भी देखेगा.
स्टिंग ऑपरेशन ने एक ओर जहां जेएनयू मामले में मोड़ ला दिया है वहीं, दूसरी ओर देश के सियासी गलियारे में भी बहस तेज हो रही है. कई नेताओं ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग की तो कुछ ने आरोपियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की.
पुलिस पर भड़के बीजेपी नेता
बीजेपी नेता आरके सिंह ने कहा कि यदि कन्हैया ने देश के खिलाफ नारेबाजी नहीं की, जिसका उस पर आरोप है तो उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'पुलिस पहले किसी भी मामले की तहकीकात करे उसके बाद लोगों पर आरोप लगाए. बिना सबूत के लोगों को जेल भेजना गलत है.'
उन्होंने यह भी कहा, 'कन्हैया पर हमला करने वाले वकीलों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्हें किसी भी स्थिति में कानून अपने हाथ में लेने या किसी को चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है. 'आज तक' का स्टिंग ऑपरेशन बेहद सटीक है. पुलिस इसके आधार पर कार्रवाई करे.'