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कंधार विमान अपहरण मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने नया दावा किया है. उन्होंने कहा है कि वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी विमान यात्रियों के बदले आतंकियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने दावा किया कि आडवाणी आई-814 के बंधकों के बदले आतंकियों को रिहा नहीं करना चाहते थे, लेकिन बाद में शायद उन्हें जबरदस्ती इसके लिए मना लिया गया.
अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' में छपी खबर के मुताबिक, अब्दुल्ला ने नई दिल्ली में एक बुक लॉन्च के दौरान यह दावा किया. याद रहे कि अब्दुल्ला ने खुद भी कंधार विमान अपहरण पर सरकार के फैसले का विरोध किया था.
'आतंकियों को छोड़ने से बढ़ा आतंकवाद'
अब्दुल्ला ने कहा कि 1999 के कंधार विमान अपहरण और 1989 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद अपहरण मामले में आतंकियों को छोड़ने का फैसला केंद्र सरकार ने किया था और ऐसा जम्मू-कश्मीर सरकार की राय को किनारे रखकर किया गया. अब्दुल्ला ने दावा किया दोनों घटनाओं के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में तेजी आई.
कार्यक्रम के दौरान फारूक अब्दुल्ला इस बात पर जोर देते रहे कि नई दिल्ली को कश्मीरी अवाम पर भरोसा करने की जरूरत है.
'सैन्य अफसर ने दिया था उमर को शूट करने का आदेश'
वाजपेयी सरकार बंधकों की जान बचाने की कोशिश कर रही थी, इस दलील को किनारे रखते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि देश को आतंकवाद से लड़ाई की कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना ही था. एलके आडवाणी से अपनी बातचीत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आडवाणी आतंकियों को रिहा करने के खिलाफ थे.
बुक लॉन्च के दौरान अब्दुल्ला ने दावा किया कि एक बार जम्मू-श्रीमगर हाईवे पर उनके बेटे उमर की गाड़ी ने सैन्य दस्ते को ओवरटेक कर लिया था, जिसके बाद अधिकारी ने उमर को शूट करने का ही आदेश दे दिया था. हालांकि उन्होंने घटना को ब्यौरा नहीं दिया.