
भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक उड़ान भरी. यह विमान अरुणाचल प्रदेश के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड तुटिंग में उतरा. वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के. रामाराव, विंग कमांडर अमिय कांत पटनायक, विंग कमांडर के त्रिवेदी और उनके साथियों ने चीन से लगने वाली सरहद पर सी-17 ग्लोबमास्टर को सफलतापूर्वक उतारा.
सी-17 ग्लोबमास्टर की खासियत
यह विमान बेहद गर्म और ठंडे वातावरण में उड़ान भर सकता है. इस विमान को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये टैंक से लेकर मिसाइल हर छोटा बड़ा हथियार और सैनिकों को लेकर उड़ान भर सकता है. खासतौर से पहाड़ो में ये विमान छोटी सी हवाई पट्टी पर भी उतर सकता है. ऊंचे पहाड़ों में लड़ाई के दौरान इस विमान का कोई सानी नहीं है. विमान की कई और खासियत हैं. यह मिसाइल वार्निंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर सपोर्टेड मिशन प्लानिंग सिस्टम से लैस है.
सी-17 ग्लोबमास्टर एक साथ 188 सैनिकों को ले जा सकता है. विमान की लैंडिंग के लिए कम लंबाई के रनवे की जरूरत होती है. इसके अलावा ग्लोब मास्टर की सटीक प्रणालियों के कारण इसे हैवी ड्रॉप ऑपरेशनों में आइएल-76 (गजराज) के साथ इस्तेमाल किया जाएगा. एयरबोर्न एक्सरसाइज में भी उपयोगी है. भारतीय वायुसेना में भारी मालवाहक विमानों के रूप में गजराज और एएन-32 का इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
अमेरिकी सेना इराक से लेकर अफगानिस्तान तक आंतकवाद के खिलाफ जंग में इसका इस्तेमाल कर रही है. अमेरिकी सेना के पास 218 सी-17 ग्लोबमास्टर हैं. जबकि इस तरह के विशालकाय विमान का इस्तेमाल करने वाले देशों में अमेरिका, रूस और चीन ही हैं.