
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) पर एक बार फिर निशाना साधा है. असदुद्दीन ने कहा कि भारतीय संविधान में लिखा गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. अगर वे (केंद्र सरकार) देश को धार्मिक देश बनाना चाहते हैं तो यह उन पर निर्भर है.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक अगर भारत में लागू हो जाता है तो देश की स्थिति धर्मशासित देश की हो जाएगी. नागरिकता बिल संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है. उत्तर-पूर्वी राज्यों को इससे बाहर किया गया है.
ओवैसी ने कहा कि वे (नरेंद्र मोदी सरकार) धार्मिक आधार पर कानून बना रहे हैं. यह भी अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है. वे नास्तिक और देश के पीड़ितजनों के साथ क्या करने जा रहे हैं. ऐसे कानून से भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजाक बनेगा. बीजेपी मुस्लिमों को यह संदेश देना चाहती है कि वे इस देश के दूसरे दर्जे के नागरिक हैं. बीजेपी सांसद संघ की विचारधारा को दिखा रहे हैं. जब तक इस देश में संविधान है, तब तक देश को धर्म शासित देश नहीं बनाया जा सकता है.
दो राष्ट्र के सिद्धांत को मिल रहा बढ़ावा
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए अपमानजनक होगा, क्योंकि आप दो राष्ट्र के सिद्धांत को बढ़ावा दे रहे हैं. एक भारतीय मुसलमान होने की वजह से मैं जिन्ना के सिद्धांत को नकारता हूं. लेकिन अब आप ऐसा कानून लेकर आ रहे हैं जो दो राष्ट्र के सिद्धांत की याद दिलाएंगे.
संविधान की मूल भावना के खिलाफ विधेयक
अवैसी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है, जो धर्म के आधार पर नागरिकता का विरोध करता है. संविधान के लिए केंद्र सरकार की यह पहल विरोधाभासी है. अगर यह बिल पास होता है तो इससे महात्मा गांधी और भीम राव अंबेडकर का अपमान होगा, जिन्होंने संविधान का प्रारूप तैयार किया है.
ओवैसी ने कहा कि अगर मीडिया की रिपोर्ट्स सही हैं तो पूर्वोत्तर के राज्य इसके दायरे से बाहर होंगे. यह कानून भी अनुच्छेद 14 के विरुद्ध होगा, जो कि एक मूलभूत अधिकार है. आपके पास नागरिकता में 2 कानून नहीं हो सकते हैं.