
बीते 25 अप्रैल को जोधपुर की अदालत ने आसाराम को भले ही उम्रकैद की सजा सुनाई है, लेकिन उसने करीब तीन दशक तक अपनी रसूख और अनुयायियों के दम पर ऐश किया. विडंबना यह कि उसके इस रसूख में राजनीति का भी घालमेल रहा.
उसके दोस्तों में राजनीति के कई बड़े खिलाड़ी शामिल थे. इनमें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी शामिल थे.
2001 में गुजरात विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनाव अभियान की शुरूआत आसाराम के साथ मंच पर बैठकर की थी. इंडिया टुडे की 2 अक्तूबर 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके बाद अधिकतर पार्टियों के नेता का आसाराम के पास जाने का तांता लग गया.
इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और दिग्विजय सिंह के अलावा उमा भारती, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, कांग्रेस नेता कमलनाथ, कपिल सिब्बल, अजय माकन, एच.डी. देवगौड़ा से लेकर जॉर्ज फर्नांडीस और फारूक अब्दुल्ला तक शामिल थे. जाहिर है, कांग्रेस अब भले ही मोदी के साथ आसाराम की वीडियो शेयर कर रही हो, पर उसके बड़े नेता भी आसाराम के भक्तों में शामिल रहे हैं.
हालांकि 2008 में अहमदाबाद में कथित तौर पर आसाराम के आश्रम में दो बच्चों के मौत के बाद मचे हंगामे के बाद नरेंद्र मोदी ने उससे सुरक्षित दूरी बना ली थी. लेकिन भाजपा के अन्य नेताओं के साथ उसके रिश्ते स्पष्ट तौर पर दिखते रहे. 2012 में जब आसाराम एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे तो राजनाथ सिंह ने इसे ‘दैवीय चमत्कार’ बताया था.
2013 में बलात्कार के आरोप लगने के बाद भाजपा नेता उमा भारती और कैलाश विजयवर्गीय ने आसाराम को पाक-साफ बताया था. 22 अगस्त 2013 को उमा भारती ने कहा था, उन्हें सोनिया और राहुल गांधी का विरोध करने के कारण निशाना बनाया जा रहा है.
असल में उन दिनों दिल्ली और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी. आसाराम को तब अंदेशा था कि उसे वहां दिक्कत हो सकती है, तब भाजपा शासित मध्य प्रदेश के इंदौर में भाग गया था.
वहां उसने बलात्कार के आरोप को सोनिया और राहुल गांधी की साजिश करार दिया था. लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया तथा राजस्थान में कांग्रेस ने उसके खिलाफ सख्ती दिखाई और फिर भाजपा ने भी उससे पल्ला झाड़ लिया.
जाहिर है, ऐसे में कभी बड़े राजनेताओं का चहेता आसाराम आखिरकार कानून के शिकंजे में आ गया और उसके साम्राज्य का अंत शुरू हो गया. हालांकि इसमें सबसे बड़ी भूमिका पीड़िता और उसके परिवार के हिम्मत और अभियोजन पक्ष (पुलिस) की कर्तव्यनिष्ठता और सख्ती से है, जिससे आसाराम को उससे कुकर्मों की सजा मिली.
***