
अयोध्या मामले में दाखिल 18 पुनर्विचार याचिकाओं पर देश के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ गुरुवार को सुनवाई करेगी. इस केस में चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना सुनवाई करेंगे. सुनवाई दोपहर 1 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी जो बंद कमरे में चलेगी.
पहले बेंच की अगुवाई करने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था.
फिलहाल अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ के सामने 9 नवंबर को आए फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इनमें 9 याचिकाएं पक्षकारों की ओर से हैं और बाकी नौ अन्य याचिकाकर्ता हैं. चूंकि ये रिप्रेजेंटेटिव सूट यानी प्रतिनिधियों के जरिए लड़ा जाने वाला मुकदमा है, लिहाजा सिविल यानी दीवानी मामलों की संहिता सीपीसी के तहत पक्षकारों के अलावा भी कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. फैजाबाद कोर्ट के 1962 के आदेश के मुताबिक सीपीसी के ऑर्डर 1 रूल 8 के तहत कोई भी नागरिक पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है.
तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन राम लला को दे दी. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 5 याचिकाएं ऐसी हैं जिन्हें ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) का समर्थन प्राप्त है. इन याचिकाओं को वरिष्ठ वकील राजीव धवन और जफरयाब जिलानी के निरीक्षण में मुफ्ती हसबुल्ला, मौलाना महफूजुर रहमान, मिस्बाहुद्दीन, मोहम्मद उमर और हाजी महबूब की ओर से दायर किया गया है.