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...ताकि अयोध्या पर फैसले का फायदा न उठा लें असामाजिक तत्व

अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले राजनीतिक दलों से लेकर मामले के पक्षकारों व अलग-अलग धार्मिक संगठनों की तरफ से फैसले पर संयम बरतने की अपील की जा रही है. साथ ही प्रशासन भी मुस्तैद हो गया है.

अयोध्या केस में 17 नवंबर को आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला अयोध्या केस में 17 नवंबर को आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

  • अयोध्या केस में 17 नवंबर को आ सकता है SC का फैसला
  • RSS से लेकर मुस्लिम संगठनों ने की शांति की अपील
  • फैसले से पहले प्रशासन भी अलर्ट, अयोध्या में सुरक्षा बढ़ी

राम जन्मभूमि विवाद पर 17 नवंबर को सर्वोच्च अदालत का फैसला आने की संभावना से पहले हर तरफ हलचल दिखाई दे रही है. मामला भूमि विवाद के साथ आस्था से जुड़ा होने के चलते कोर्ट के निर्णय को लेकर एहतियात भी बरते जा रहे हैं. राजनीतिक दलों से लेकर मामले के पक्षकारों व अलग-अलग धार्मिक संगठनों की तरफ से फैसले पर संयम बरतने की अपील की जा रही है. साथ ही प्रशासन भी अलर्ट है.

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इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान से हुई थी, जो उन्होंने पिछले मन की बात कार्यक्रम में दिया था. 27 अक्टूबर को मन की बात में पीएम मोदी ने अयोध्या विवाद पर आए 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि उस वक्त कुछ बड़बोले लोगों ने चर्चा में आने के लिए गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए थे और यह क्रम करीब पांच से दस दिनों तक जारी रहा था. लेकिन फैसले के बाद जनता, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, संतों, मनीषियों और सभी धर्मों के प्रमुखों ने संयम बरता, जिसकी बदौलत एकता कायम हुई.

RSS ने दिया स्वयंसेवकों को संदेश

पीएम मोदी का यह बयान आने के बाद आरएसएस और मुस्लिम संगठनों ने भी इस तरह की अपील की है. अक्टूबर के आखिर में दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय सभा में आरएसएस ने अपने काडर को अयोध्या केस में कोर्ट के फैसले को संयमता के साथ स्वीकार करने के निर्देश दिए.

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मस्जिदों से दें अमन का पैगाम

इसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस मसले को गंभीरता से लेते हुए समुदाय के बीच शांति का पैगाम देने की अपील की. बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि अयोध्या केस आजाद भारत का सबसे बड़ा और संवेदनशील मसला है और पूरी दुनिया की नजर कोर्ट के निर्णय पर है. ऐसे में देश के हर नागरिक का यह फर्ज है कि कोर्ट के फैसले का सब सम्मान करें और शांति बनाए रखें.

इसके साथ ही मौलाना रशीद फिरंगी महली ने सभी मस्जिदों के इमामों (नमाज पढ़ाने वाले धार्मिक गुरु) से कहा कि वो समुदाय के लोगों को यह बताएं कि अयोध्या केस पर आने वाले फैसले से घबराएं नहीं और संविधान पर भरोसा रखकर कोर्ट के हर फैसले का सम्मान करें.

वहीं, लखनऊ में यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अयोध्या मसले को लेकर वक्फ बोर्ड की आधीन स्थानों पर जैसे इमामबाड़ा मस्जिद, दरगाह ,कार्यालय कब्रिस्तान, मजार आदि पर अयोध्या मसले को लेकर किसी प्रकार का भाषण, धरना प्रदर्शन, लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई है. मुस्लिम संगठनों के अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने भी इस मसले पर बयानबाजी से बचने और सोशल मीडिया से पर गलत जानकारी से बचने की अपील की है.

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प्रशासन भी पूरी तरह तैयार

अयोध्या प्रशासन ने जिले में हर तरह के सोशल मीडिया पर होने वाले धार्मिक कमेंट पर एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि अयोध्या, मंदिर, मस्जिद या फिर सांप्रदायिक कमेंट सोशल मीडिया पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. साथ ही 28 दिसंबर तक अयोध्या में सभी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम, राजनैतिक धार्मिक-सामाजिक रैलियां, वॉल पेंटिंग, जलसे और जुलूस पर रोक लगा दी है. पूरे जिले में धारा 144 का भी फैसला हुआ है.

प्रशासन के साथ पॉलिटिकल पार्टी भी अपने स्तर से एहतियात बरतने के संदेश दे रही हैं. सत्ताधारी बीजेपी ने कार्यकर्ताओं को आगाह किया है कि वह राम मंदिर पर फैसला आने से पहले या बाद में सोशल मीडिया पर मुखर न हों और न ही वॉट्सऐप पर मैसेज फॉरवर्ड करें और न ही मुखर होकर ट्वीट करें. पार्टी मुख्यालय की तरफ से राज्यों के आईटी सेल को भी इस तरह की हिदायत जारी की गई है कि फैसला आने पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का रुख देखकर ही कदम उठाएं.

इस तरह हर तरफ से अयोध्या केस पर फैसले से पहले शांति और अमन कायम रखने की अपील की जा रही हैं. ताकि अयोध्या के फैसले का असामाजिक तत्व फायदा न उठा लें. 

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