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अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट पर नहीं है एक राय, सामने आई साधु-संतों में 'फूट'

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ट्रस्ट बनाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी है लेकिन ट्रस्ट में दावेदारी के नाम पर फूट पड़ गई है. राम मंदिर पर पिछले 3 दशक में राजनीतिक आंदोलन VHP के दबदबे वाले राम जन्मभूमि न्यास ने चलाया अब ट्रस्ट में शामिल होने की होड़ मच गई है.

अयोध्या (फोटो: Reuters) अयोध्या (फोटो: Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

  • राम मंदिर निर्माण को लेकर बनने वाले ट्रस्ट पर विवाद
  • अयोध्या में हर दिन सामने आ रहे ट्रस्ट के नए-नए दावेदार

अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ होने के बाद उसके लिए बनने वाले ट्रस्ट में दावेदारी की मारामारी शुरू हो गई है. एक ओर राम जन्मभूमि न्यास है जिसके अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास तो न्यास को ही ट्रस्ट बना देने की ख्वाहिश रखते हैं. तो वहीं अयोध्या के दूसरे साधु संत नए ट्रस्ट की वकालत कर रहे हैं, लेकिन वो ट्रस्ट कैसा हो इसे लेकर राय बंटी हुई है.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ट्रस्ट बनाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी है लेकिन ट्रस्ट में दावेदारी के नाम पर फूट पड़ गई है. राम मंदिर पर पिछले 3 दशक में राजनीतिक आंदोलन VHP के दबदबे वाले राम जन्मभूमि न्यास ने चलाया. अब जब फैसला राम मंदिर के पक्ष में है तो न्यास की दलील है कि अयोध्या पर नए ट्रस्ट की जरूरत ही नहीं.

यह है अयोध्या ट्रस्ट को लेकर छिड़ी जुबानी जंग

राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा, "पहले से ही राम जन्मभूमि न्यास बना है, उसमें कुछ लोग जोड़े जाएं, नया जोड़े गए तो वो नया हो गया. हम तो पहले से ही ट्रस्ट में हैं, शामिल क्या होना नया में." राम जन्मभूमि न्यास के इस दांव का साधु-संतों के दूसरे अखाड़े विरोध कर रहे हैं.

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राम लला मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास कहते हैं, "राम जन्मभूमि न्यास के बाइलाज का अध्ययन होगा, वो होगा तभी तय होगा कि कितने सदस्य होंगे, इस न्यास में नृत्य गोपाल के अलावा किसी का नाम नहीं है.

दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास का कहना है कि नया ट्रस्ट तो सरकार जो चाहेगी वही होगा. तपस्वी छावनी के परमहंस दास भी मानते हैं कि नया ट्रस्ट बने तो अच्छा. वहीं अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा, "जो ट्रस्ट है, राम जन्मभूमि का, तो उसी को बढ़ा दिया जाए. आप बाहर वालों को ना बैठाएं- किसी रामदेव या किसी रविशंकर को."

वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा इस मामले पर कहते हैं, "जो व्यवस्था है, उसमें पूजन अर्चन हो सकता है. राम लला को स्थापित करने की बात है तो उनको कहां स्थानांतरित किया जा सकता है, वो वहां विराजमान हैं तो इसमें हटाने की बात सही नहीं है." यही नहीं साधु-संतों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्रस्ट में शामिल करने को लेकर भी राय बंटी हुई है.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मंदिर को लेकर दी अलग राय

इस बीच शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की भी एक अलग लाइन है कि अयोध्या का मंदिर अंकोरवाट की तर्ज पर बने. गौरतलब है कि वीएचपी की कार्यशाला में मंदिर का एक मॉडल बना हुआ है, और वहां मंदिर की तैयारी दशकों से हो रही है. यानी शंकराचार्य की चली तो वीएचपी का प्लान धरा का धरा रह जाएगा.

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