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आजतक का असर: बाढ़ पीड़ितों को रात के 12 बजे दिया गया मुआवजा

बिहार में आई प्रलयकारी बाढ़ ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी, लेकिन सबसे दर्दनाक कहानी है भागलपुर की दो महिला पिंकी और फूलन की. बाढ़ ने इन दोनों महिलाओं पर ऐसा कहर बरपाया कि अपने पति और बेटे के अंतिम संस्कार के लिए इन दोनों महिलाओं को भीख तक मांगना पड़ा.

बिहार में बाढ़ से मची तबाही बिहार में बाढ़ से मची तबाही
अंजलि कर्मकार/सुजीत झा
  • पटना,
  • 03 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

बिहार में आई प्रलयकारी बाढ़ ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी, लेकिन सबसे दर्दनाक कहानी है भागलपुर की दो महिला पिंकी और फूलन की. बाढ़ ने इन दोनों महिलाओं पर ऐसा कहर बरपाया कि अपने पति और बेटे के अंतिम संस्कार के लिए इन दोनों महिलाओं को भीख तक मांगना पड़ा. 'आजतक' ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया तो इसका असर भी हुआ. रात के 12 बजे ही बाढ़ पीड़ितों के बीच मुआवजा वितरित किया गया. यही नहीं, पटना में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और भागलपुर में वहां के डीएम आदेश तितरमारे ने रात के 12 बजे तक बाढ़ पीड़ितों के बीच चलाए जा रहे राहत कार्यों का जायजा लिया.

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दोनों को मिला 4-4 लाख का मुआवजा
बिहार के सीएम ने की घोषणा कि सरकारी रुपयों पर सबसे पहला हक बाढ़ पीड़ितों का, लेकिन भागलपुर के रजंदीपुर गांव की पिंकी और फूलन की दर्द भरी दास्तां ने सीएम के सारे घोषणाओं की हवा निकालकर रख दी. सुशासन की सरकार में अगर किसी महिला को अपने पति और बेटे के श्राद्धकर्म के लिए भीख मांगना पड़ा, तो इससे बड़ी त्रासदी और क्या हो सकती है? सीएम नीतीश कुमार इस घटना को देखकर काफी आहत हुए और उन्होंने तुरंत भागलपुर के डीएम को आदेश दिया कि तुरंत दोनों को 4-4 लाख रुपये सहायता राशि के रूप में दिया जाए. यहीं नहीं, कोताही बरतने वालों के खिलाफ भागलपुर कमिश्नर को जांच के भी आदेश दे दिए. सीएम का स्पष्ट आदेश है कि बाढ़ में हुई मौत का मुआवजा 24 घंटे के अंदर देना है.

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सीओ ने दिखाई मामले में लापरवाही
बताया जा रहा है कि स्थानीय सीओ ने इस मामले में काफी लापरवाही दिखाई. पिंकी के पति और फूलन के बेटे की मौत बाढ़ में डूब कर हुई. पोस्टमार्टम के बाद उनका दाह संस्कार हो गया, फिर भी सीओ कान में तेल डाल कर बैठे रहे. शुक्रवार को उन दोनों का श्राद्ध कर्म था. इसलिए वो भीख मांग कर उनका कर्म कर रही थीं. दोनों महिलाएं अनपढ़ हैं और उनकी गुहार को कोई नहीं सुन रहा था. 'आजतक' ने इस मामले को जब प्रमुखता से उठाया, तो प्रशासन मदद के लिए आगे आई.

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