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बेगूसराय से बीजेपी सांसद भोला सिंह ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘स्मार्ट सिटी’ की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए. भोला सिंह ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना से पहले से ही विकसित शहरों का ही विकास होगा, पिछड़े शहरों और अति विकसित शहरों के बीच खाई बढ़ेगी और विषमताओं के पहाड़ खड़े होंगे.
सदन में प्रश्नकाल के दौरान भोला सिंह ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘स्मार्ट सिटी’ की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस स्मार्ट सिटी की बात सरकार कर रही है, नगर निगम, नगर पालिका परिषद और तमाम ऐसी नगर विकास एजेंसियां सालों से यह काम पहले ही कर रही हैं.
भोला सिंह बोले- आखिर यह कब तक चलेगा
भोला सिंह ने कहा कि इसी प्रकार जिस ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात प्रधानमंत्री ने की है उसमें स्मार्ट सिटी का उद्देश्य कोई नया नहीं है. नगर पालिकाएं सालों से यही काम करती आ रही हैं. तो नगर पालिकाओं की शहरी योजना और केंद्र की इस नई योजना में क्या अंतर है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना के लिए करोड़ों रुपये का कर्ज देगी, फिर उस कर्ज को वसूलेगी, आखिर यह सब कब तक चलेगा.
नायडू ने किया भोला सिंह को जवाब
इस सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि परियोजना के तहत 100 स्मार्ट शहरों को ‘प्रकाश पुंज’ की तरह विकसित करना है ताकि बाकी शहर उनका अनुकरण करें. उन्होंने भोला सिंह के इस विचार से असहमति जताई कि इस योजना से समृद्ध क्षेत्र अधिक समृद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए खुली प्रतिस्पर्धा के तहत शहरों का चयन किया गया है और केंद्र यह ध्यान भी रखेगा कि क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखा जाए.
पीएम की तरफ से नायडू ने दी सफाई
नायडू ने भोला सिंह की इस टिप्पणी को भी गलत बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी यह कहा था कि पूर्व के पास दिमाग है लेकिन दौलत नहीं जबकि पश्चिम के पास दौलत है दिमाग नहीं. उन्होंने कहा कि देश के सभी क्षेत्र ज्ञानवान हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कभी ऐसा नहीं कहा.’ उस समय प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे.
स्मार्ट सिटी के चयन में नहीं हुआ भेदभाव: मोदी सरकार
स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहरों के चयन में किसी प्रकार के राजनीतिक भेदभाव से इंकार करते हुए नायडू ने कहा कि केंद्र सूची में राज्यों के प्रस्तावों को शामिल करने के लिए उनकी मदद कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस दिशा में पहली सूची में 20 शहरों का चयन किया गया है और इस पर 2017-18 में काम शुरू हो जाएगा.