
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चुनावों के लिए मास्टर रणनीतिकार ऐसे ही नहीं माना जाता. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के मास्टर प्लान को शाह ने जमीन पर उतारना भी शुरू कर दिया है.
खास रणनीति के तहत शाह ने इसी महीने से अलग-अलग प्रदेशों की 5-5 लोकसभा सीटों के लिए अपने दौरे शुरू किए हैं. अप्रैल के पहले हफ्ते में शाह ने उड़ीसा के दो दिन के दौरे में 5 लोकसभा सीटों को कवर किया. इन दौरों में शाह का फोकस पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करना, बूथ प्रमुखों का सम्मेलन करना और रोड शो के जरिए आम लोगों से संपर्क कायम करना शामिल रहता है.
इसी कड़ी में शाह 21 अप्रैल को यूपी के दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरे पर वे रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ सीटों के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को भी सम्बोधित करेंगे, इसके बाद अमित शाह मई के दूसरे हफ्ते में राजस्थान का दौरा करेंगे.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी 2014 के चुनाव जिन 283 सीटों पर चुनाव जीती थी उनके अलावा 90 और लोकसभा सीटों को टार्गेट किया गया है, जहां बीजेपी को दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था. सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेतृत्व को अंदाज़ा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र में एंटी इंकम्बेन्सी फैक्टर के चलते पार्टी की सीटें घट सकती हैं.
अमित शाह ने पिछले साल से ही पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु और नॉर्थ ईस्ट की उन 120 सीटों पर पार्टी की ताक़त झोंक दी है, जहां बीजेपी कभी भी जीत नहीं पाई है. अब इनमें आंध्र प्रदेश की 22 सीटें भी जोड़ दी हैं. यानी ऐसी कुल सीटें 142 हो गई हैं.
बीजेपी के फोकस पर अब 2014 में जीती 283 सीटों के अलावा 233 (90+142) सीटें हैं. 90 वो सीटें जिन पर बीजेपी 2014 में दूसरे स्थान पर रहीं और 142 वो सीटें जिन पर बीजेपी कभी नहीं जीती. बीजेपी को लगता है कि इनमें कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पर पिछले चार सालों में पार्टी की जीतने की स्थिति बनी है. बीजेपी नेतृत्व इन सीटों पर दूसरी पार्टियों के ऐसे नेताओं को भी पार्टी में लाने की कोशिश कर रही जो पार्टी को वहां जिता सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जुगलबंदी बीजेपी को 2014 लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में जीत दिला चुकी है. 2019 लोकसभा चुनाव दोनों के रणनीतिक कौशल की अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, इसका दोनों नेताओं को ही अच्छी तरह अंदाज है. ऐसे में अमित शाह के सामने 2019 लोकसभा चुनाव का लक्ष्य वैसे ही है जैसे महाभारत में अर्जुन के सामने मछली की आंख को भेदने का लक्ष्य था. जीत के लिए साम, दाम, दंड और भेद की नीतियों का भी इस्तेमाल करना हो तो ‘रणनीति के शाह’ को उससे भी गुरेज नहीं.