
1 फरवरी को आम बजट पेश होने से पहले गुरुवार को सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक हुई जहां बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल की जगह 1 जनवरी से शुरू करने की बात कही.
बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाने में केंद्रांश बढ़ाने की सख्त जरूरत है. बैठक के दौरान प्रेजेंटेशन देते हुए मोदी ने सभी तरह की सामाजिक पेंशन योजना की राशि में ₹500 की बढ़ोतरी करने, आयकर की सीमा बढ़ाने तथा आपदा राहत कोष से संबंधित अनेक सुझाव दिए.
आयकर को लेकर मोदी ने जो सुझाव रखे वह यह है कि, आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख करना चाहिए, 80 C के तहत आयकर छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख करनी चाहिए और आयकर से छूट के लिए 10 लाख की ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख करना चाहिए.
मोदी ने कहा कि बिहार में चल रही रेल परियोजनाओं और प्रधानमंत्री पैकेज की योजनाओं को समय से पूरा करने के लिए आगामी बजट में पर्याप्त धन आवंटन किया जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं जैसे कि मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना और सड़क योजना तथा जीविका आदि में केंद्रांश बढ़ाने के साथ ही सड़कों की देखरेख पर अब तक जो 100 प्रतिशत राशि राज्य को खर्च करनी पड़ती है उसके लिए 60:40 का केंद्रांश और राज्यांश किया जाना चाहिए.
बाढ़, सुखाड़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हर साल जूझने वाले बिहार के लिए मोदी ने आपदा प्रबंधन कोष को दुगना करने, 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर केंद्र और राज्य के अंशदान को वर्तमान 75:25 की जगह 90:10 करने का सुझाव दिया.
बैठक में मोदी ने कहा कि केंद्रीय करों का हिस्सा जो राज्यों को अब तक प्रत्येक महीने की पहली तारीख को मिलती थी वह नई योजना के तहत अब केंद्र तीन महीने पर 15 तारीख को देने का निर्णय किया है जिससे बिहार जैसे राज्यों का वेतन और पेंशन के भुगतान में काफी परेशानी होगी. मोदी ने सुझाव दिया कि पहले की तरह राज्यों को केंद्रीय करों का हिस्सा प्रत्येक महीने की पहली तारीख को देने की व्यवस्था कायम रखनी चाहिए.