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CM रमन सिंह के जिले में सरकारी अस्पताल की लापरवाही, नवजात ने तोड़ा दम

कवर्धा के जिला अस्पताल प्रसव के लिए एक महिला अस्पताल में भर्ती हुई  उसके साथ आए परिजन डॉक्टरों की खोजबीन करते रहे, लेकिन अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अपने कक्ष से नदारद मिला. यही हाल नर्सों का भी था.

कवर्धा का सरकारी अस्पताल कवर्धा का सरकारी अस्पताल
सुनील नामदेव
  • कवर्धा,
  • 02 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिला कवर्धा के सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की भारी लापरवाही सामने आई है, जहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और नर्स सो रहे थे, वहीं प्रसव पीड़ा से कराहती महिला ने मां और सास के सहारे बच्चा को पैदा तो कर दिया, लेकिन सुरक्षित प्रसव नहीं होने से थोड़ी ही देर में उस बच्चे की मौत हो गई.

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कवर्धा के जिला अस्पताल प्रसव के लिए एक महिला अस्पताल में भर्ती हुई  उसके साथ आए परिजन डॉक्टरों की खोजबीन करते रहे, लेकिन अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अपने कक्ष से नदारद मिला. यही हाल नर्सों का भी था.

बताया जाता है कि डिलिवरी केस दर्ज होने के बाद एक डॉक्टर और दो नर्सों की ड्यूटी लगाई गई थी. बावजूद इसके यह महिला सुरक्षित प्रसव के लिए तड़प रही थी.

कमरे में सो रहे थे डॉक्टर

दूसरी ओर, उसके परिजन अस्पताल के भीतर और बाहर डॉक्टरों को खोज रहे थे. उन्हें अस्पताल के भीतर के एक कक्ष में डॉक्टर का ठिकाना भी मिला, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद डॉक्टर ने कमरा नहीं खोला. सरकारी अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पूरे समय सोता रहा.

आखिरकार पीड़ित महिला के परिजनों ने ही उसकी डिलीवरी कराई. हालांकि डिलीवरी के आधे घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई. पूरी घटना पर सिविल सर्जन ने जांच के निर्देश दिए हैं.

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कवर्धा जिला प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का गृह जिला भी है. लोगों को उम्मीद रहती है कि कम से कम मुख्यमंत्री के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाएं लचर नहीं होंगी, लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया है कि 'इलाका राजा भोज का हो या फिर गंगू तेली का',  सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पूरे प्रदेश में लगभग एक ही ढर्रे पर संचालित हो रही है.

अस्पताल प्रशासन ने जांच के आदेश दिए

कवर्धा में हुई इस घटना के खुलासे के बाद जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर एसआर चुरेन्द्र ने माना कि लापरवाही हुई है. उन्होंने कहा कि जो डॉक्टर ड्यूटी पर थे उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है. घटना पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि नवजात बच्चे की मौत इसलिए हुई, क्योंकि वह छह माह का भी नहीं हुआ था.

बताया जाता है कि शनिवार की सुबह 10 बजे ग्राम खैराहा-सरेखा निवासी गर्भवती महिला श्रीमती सुखिया देवी अपने पति जगराम, उसकी सास और मां के साथ प्रसव कराने के लिए जिला अस्पताल में भर्ती हुई थी. दिनभर हल्के दर्द के कारण प्रसव नहीं हो पाया था. इसके चलते डॉक्टरों ने उसे कुछ दवाइयां दी थी.

शनिवार देर रात करीब ढाई बजे दवा का असर हुआ और यह महिला दर्द से कहराने लगी. प्रसव पीड़ा होते देख उसके परिजन तुरंत नर्स और डाक्टरों  को बुलाने के लिए यहां वहां भटकते रहे, लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला.

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आखिरकार पीड़ित महिला सुखिया देवी की मां और सास ने मिलकर उसकी डिलिवरी कराई, लेकिन सुरक्षित प्रसव नहीं होने के चलते आधे घंटे बाद ही नवजात बच्चे ने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद पीड़ितों को पता पड़ा कि रात शिफ्ट में एक मेडिकल ऑफिसर और दो नर्सों की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन कोई भी ड्यूटी पर मौजूद नहीं था. डॉक्टर और नर्स  दोनों नर्स रूम में सो रहे थे.

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