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घरेलू हिंसा की शिकार महिला आज है करोड़ों डॉलर की मालकिन

जानिए एक ऐसी महिला जो छोटी उम्र में ही हो गई थीं घरेलू हिंसा का शिकार लेकिन आज वह हैं करोड़ों रुपये वाली कंपनी की मालकिन.

Kalpana Saroj Kalpana Saroj
स्नेहा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया को प्रभावित करने वाली ज्यादातर कहानियां कठिनाइयों और संघर्षों से होकर निकलती हैं. ऐसे ही लोगों में से एक हैं कल्पना सरोज. दलित परिवार में पैदा हुई कल्पना को स्कूल छोड़कर छोटी उम्र में ही शादी करनी पड़ी थी. लेकिन उन्होंने अपने मेहनत के बल पर न केवल अपनी जिंदगी को बेहतर बनाया बल्कि दूसरों की जिंदगियों को बेहतर बनाने के लिए भी काम किया.

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जानिए इनकी कहानी:
महाराष्ट्र के विदर्भ में पैदा हुई कल्पना के पिता कांस्टेबल थे. वह एक अच्छी और मेधावी स्टूडेंट थीं. लेकिन स्कूल में जातिगत भेदभाव काफी ज्यादा था. स्कूल और पड़ोस के तथाकथित ऊंची जाति वाले अपने बच्चों को कल्पना के साथ खेलने और खाने नहीं देते थे. कल्पना ने इसके बावजूद भी स्कूल जाते रहने का फैसला किया था लेकिन 12 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई.

लगतार तकलीफें बढ़ती गई:
पहले ही कम तकलीफें नहीं थी मगर शादी ने तकलीफों और परेशानियों को और बढ़ा दिया. कल्पना के पति और परिवार वाले उन्हें काफी मारते-पीटते थे. जब इनके पिता को इसके बारे में पता चला तो वो अपनी बेटी को वापस घर ले आए. लेकिन कल्पना की हालत तब भी नहीं सुधरी. उन्हें पड़ोसियों ने ताना देना शुरू कर दिया. इससे परेशान होकर कल्पना ने जहर खा लिया. तुरंत हॉस्पिटल ले जाने के कारण ही उनकी जान बच पाई.

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खुद को खोजने का प्रयास:
दूसरी जिंदगी मिलने के बाद कल्पना ने अपने आपको खोजना शुरू कर दिया. अब वो दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देती थीं बल्कि अपने लिए एक अलग रास्ता चुनने का प्रयास करने लगी थीं. 16 साल की उम्र में वो मुंबई चली आईं. उन्हें टेलर का काम सीखना शुरू किया और अपना छोटा सा बिजनेस भी स्थापित करने की सोची.

कड़ी मेहनत ने रंग लाना शुरू कर दिया:
रोज 16-18 घंटें काम करके जल्द ही उन्होंने फर्नीचर बिजनेस शुरू कर दिया. इस बिजनेस के माध्यम से उन्होंने एंटरप्रेन्योर की हर बारीक से बारीक चीज भी सीखनी शुरू कर दी. 2001 में कमानी ट्यूब्स कंपनी ने उन्हें इसे बचाने के लिए एप्रोच किया. उन्होंने कंपनी ज्वॉइन किया. इस डूबती कंपनी को न उन्होंने केवल बचाया बल्कि इसे मुनाफा कमाने वाली कंपनी के रूप में भी बदल दिया. अब वो 112 मिलियन डॉलर कंपनी की मालकिन हैं.

ट्रेड इंडस्ट्री में बेहतरीन काम करने के लिए 2013 में इन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री अवॉर्ड देकर सम्मानित किया. इन्हें भारतीय महिला बैंक का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी बनाया गया.

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