
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, जयराम रमेश के बाद अब शशि थरूर ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ राज्य सरकारों के प्रस्ताव पर ऐतराज जताया है. सीएए को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल लगातार इसके विरोध में खड़े हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि राज्य सरकारों की ओर से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास करना सिर्फ राजनीति है, क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की कोई भूमिका नहीं होती है.
राजस्थान विरोध में प्रस्ताव लाने की तैयारी में
हाल में ही कांग्रेस शासित पंजाब राज्य ने भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था. इसके बाद राजस्थान की गहलोत सरकार भी सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. हालांकि सबसे पहले केरल सरकार ने इसके खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में पारित कराया था.
शशि थरूर से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि यदि नागरिकता संशोधन कानून पारित हो गया है तो कोई भी राज्य इसे लागू करने से मना नहीं कर सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि सीएए को लागू करने से मना करना मुमकिन नहीं और इसे लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा.
कपिल सिब्बल ने कहा, अगर सीएए पास है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि हम इसे लागू नहीं करेंगे. ये संभव नहीं है. ये असंवैधानिक है अगर आप इसका विरोध कर सकते हैं. आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और सरकार से कह सकते हैं कि इसे वापस ले लिया जाए.
शशि और कपिल के अलावा एक अन्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी माना कि सीएए की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है. अगर सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया तो वह कानून की किताब में कायम रहेगा और अगर कुछ कानून की किताब में है तो उसे सभी को मानना होगा.
सलमान खुर्शीद ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि सीएए पर राज्य सरकारों की अलग-अलग राय है. उन्हें अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई घोषणा का इंतजार करना होगा.
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ये बयान ऐसे समय में आ रहे हैं जब केरल और पंजाब सरकार ने सीएए को अपने-अपने राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है. केरल सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के राज्य में सीएए को लागू नहीं करने की बात कही थी.
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इसके बाद पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने भी सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि इस कानून से राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के छिन्न-भिन्न होने का खतरा बढ़ गया है.