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जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 87 और झारखंड की 81 सीटों के लिए वोटों की गिनती की तैयारी पूरी हो चुकी है. मंगलवार सुबह सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाएगी, फिर ईवीएम मशीनों में डाले गये वोट गिने जाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी का जादू इन दो राज्यों में चला है या नहीं, दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी.
जम्मू कश्मीर में अब तक तीन पार्टियों की ही सत्ता रही है लेकिन इस बार वहां का राजनीतिक मूड अलग है. सूबे में बीजेपी हैरत वाले परिणाम ला सकती है. हालांकि वहां किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है लेकिन बीजेपी ऐसी स्थिति में आती दिख रही है जहां से वो सूबे में प्रभावी भूमिका निभाएगी.
सी वोटर का चुनावी सर्वे कहता है कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी को 27 से 33 सीटें मिल सकती हैं. पीडीपी को सबसे ज्यादा 38 सीटें मिलने का अनुमान है जो कि बीजेपी से सिर्फ 5 सीटें ज्यादा है. हालांकि वहां किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा लेकिन बीजेपी के खाते में जाती दिख रही 33 सीटें उसके लिए बहुत बड़ी जीत है.
बीजेपी के लिए जम्मू कश्मीर में 27 से 33 सीटें जीत लाना, जीत के बराबर है. क्योंकि जम्मू के कुछ हिस्सों को छोड़कर पार्टी वहां कभी थी ही नहीं.
जम्मू कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के आसार
जम्मू कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी? क्या उमर अब्दुल्ला बीजेपी का साथ देंगे? हालांकि उन्होंने तो अकेले चलने का एलान कर दिया है लेकिन सियासत में कुछ पक्का नहीं होता. उधर, महबूबा मुफ्ती की कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की अटकलें भी तेज हैं.
जम्मू कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के आसार पक्के हैं, तो सवाल ये उठता है कि सरकार कैसे बनेगी, किसकी बनेगी. पीडीपी जो सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरती दिख रही है, उसे भी सरकार बनाने के लिए सहारे की जरूरत है और बीजेपी भी अपने बूते सरकार नहीं बना सकती.
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर जब अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिये जाने की बात कही तो चर्चा होने लगी कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी की सियासी उमरदराज होने वाली है लेकिन उन्होंने फौरन कह दिया कि वो किसी भी दल को समर्थन नहीं देगे.
इधर, महबूबा मुफ्ती दिल्ली में जमी हुई हैं. उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें भी मिलती हुई दिख रही है, तो क्या एक बार फिर कांग्रेस पीडीपी का साथ दे सकती है, इस बात की संभावना मजूबत है क्योंकि पीडीपी बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस की ओर हाथ बढ़ा सकती है. फिलहाल तस्वीर धुंधली है. सब कुछ इस बात से तय होगा कि मंगलवार को सुबह जनता का पैगाम क्या आता है.
झारखंड में पहली बार बीजेपी की सरकार!
इधर, ओपिनियन पोल कह रहे हैं कि झारखंड में बीजेपी को 43 से 51 सीटें मिल सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो 13 साल में पहली बार झारखंड में बीजेपी पहली बार बहुमत से सरकार बना लेगी, जिसका असर बिहार के चुनावों पर भी पड़ सकता है. झारखंड में 2005 और 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का गठन हुआ था. यहां पिछले 14 साल में नौ सरकारें बनीं हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद सूबे के हाथ से निकलने का सिलसिला जारी है. सबसे पहले महाराष्ट्र और हरियाणा से कांग्रेस का सफाया हो गया. बीजेपी इन दोनों ही सूबों में सत्ता चला रही है. अब झारखंड भी बीजेपी के कब्जे में आता दिख रहा है.
इंडिया टुडे और सिसेरो का ओपीनियन पोल कहता है कि नरेन्द्र मोदी के नाम पर इस बार बीजेपी वहां 43 से 51 सीटें जीतेगी. बीजेपी को 36 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी जेएमएम होगा, जिसे 14 से 18 सीटों से संतोष करना होगा.
सूबा बनने के बाद ये पहला मौका होगा जब बीजेपी अपने बूते वहां सरकार बना सकेगी. पिछली कई सरकारों की लूटखसोट और अस्थिरता ने लोगों को नरेन्द्र मोदी की ओर देखने को मजबूर कर दिया है. जिन्होंने ये नारा दिया कि आपकी तिजोरी खोलने का अधिकार सिर्फ आपके पास होगा.
ये चुनावी सर्वे कह रहे हैं कि आने वाले दिनों मोदी की अगुवाई में बीजेपी का साम्राज्य और बड़ा होगा. यहीं से पूरे विपक्ष के लिए बड़ी दिक्कत शुरू हो रही है. क्योंकि अगले साल बिहार में भी चुनाव होने हैं. नरेन्द्र मोदी के मिशन का वो एक बहुत ही अहम पड़ाव है जिसे हासिल करने के लिए वो पूरा जोर लगा देंगे.